Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शेखावाटी की लाइफ लाइन काटली नदी पर संकट, झुंझुनूं और चूरू में मिले सैकड़ों अतिक्रमण, एनजीटी सर्वे में खुली पोल

खंडेला की पहाड़ियों से निकलकर चूरू तक बहने वाली 115 किमी लंबी काटली नदी में जल संसाधन विभाग ने एनजीटी आदेश पर सर्वे कर 362 अतिक्रमण चिन्हित किए हैं। झुंझुनूं में 329, चूरू में 33 मिले, जबकि सीकर में एक भी नहीं।

3 min read
Google source verification
Katli River

काटली नदी के बहाव क्षेत्र में अवैध खेती और कच्चा-पक्का अतिक्रमण (फोटो- पत्रिका)

पचलंगी (झुंझुनूं): सीकर से खंडेला की पहाड़ियों से निकलकर चूरू जिले के सांखला ताल टीलों तक पहुंचने वाली लगभग 115 किलोमीटर लंबी बरसाती नदी दिन-प्रतिदिन अपना अस्तित्व खोती जा रही है। तीन जिलों में बहने वाली काटली नदी किसी समय में शेखावाटी की लाइफ लाइन मानी जाती थी। लेकिन अब यह खुद ही बेबस नजर आ रही है।


काटली नदी को बचाने के लिए काटली नदी बचाओ संघर्ष समिति सहित अन्य संगठन लगे हुए हैं। इसी क्रम में अमित कुमार और कैलाश मीणा नीमकाथाना (सीकर) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण सेंट्रल जोन भोपाल पीठ का दरवाजा खट खटाया, जिस पर एनजीटी ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को सर्वे की जिम्मेदारी दी थी। परिवादियों के दोबारा याचिका लगाने पर यह जिम्मेदारी जल संसाधन विभाग को दी थी। दोनों ने ही अपने सर्वे में काटली नदी में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और अवैध खनन माना।


यह माने अतिक्रमण


हाल ही में एनजीटी के आदेश की पालना करते हुए जल संसाधन विभाग खंड सीकर ने काटली नदी का सर्वे किया। जल संसाधन विभाग के उच्च अधिकारियों ने बताया कि सर्वे में लगभग 115 किलोमीटर की दूरी में बहने वाली काटली नदी में कुल 362 अतिक्रमण चिन्हित किए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 329 झुंझुनूं और 33 चूरू जिले में माने हैं। सर्वे में सीकर जिले में एक भी अतिक्रमण नहीं मिला।


समिति ने सर्वे रिपोर्ट पर उठाए सवाल


जल संसाधन विभाग की सर्वे रिपोर्ट एनजीटी के पहुंचने पर परिवादी अमित कुमार, कैलाश मीणा ने कहा कि यह कैसा सर्वे किया है। काटली बचाओ संघर्ष समिति के सुभाष कश्यप सहित अन्य ने कहा, खनन माफियाओं और अतिक्रमणियों ने लाइफ लाइन कही जाने वाली काटली नदी को खुर्द-बुर्द कर दिया।


वहीं, सर्वे में मात्र 362 अतिक्रमण ही चिन्हित किए गए हैं। इसमें सीकर के गुहाला, कोटड़ी सहित अन्य जगहों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण व अवैध खनन है। वहां सर्वे रिपोर्ट में एक भी अतिक्रमण नहीं मिला, यह कैसा सर्वे किया गया है।


दिए थे अतिक्रमण हटाने के आदेश


साल 2024 में परिवादी अमित कुमार, कैलाश मीणा के द्वारा एनजीटी में दी रिपोर्ट के बाद भारतीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा सर्वे किया गया था। भारतीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने सर्वे में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण व अवैध खनन माना था। लेकिन एनजीटी के आदेश के बाद भी प्रशासन के द्वारा अतिक्रमण हटाने व अवैध खनन रोकने की कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई।


इसको लेकर अमित कुमार व कैलाश मीणा ने दोबारा से एनजीटी का दरवाजा खटखटाया व एनजीटी के आदेश पर जल संसाधन विभाग ने संबंधित जिला राजस्व, उच्च प्रशासन, खनिज, वन सहित अन्य विभागों की मदद से काटली नदी का दोबारा सर्वे किया।


तीन जिलों में हजारों अतिक्रमण


जल संसाधन विभाग द्वारा एनजीटी को सर्वे की रिपोर्ट सौंपी गई। उसमें तीनों जिलों के मात्र 362 अतिक्रमण चिन्हित किए गए। इसमें झुंझुनूं में सबसे अधिक 329, चूरू में 33 और सीकर में एक भी अतिक्रमण नहीं मिला। झुंझुनूं तहसील में सबसे अधिक 187, गुढ़ागौड़जी में 108, चिड़ावा में 20, उदयपुरवाटी में मात्र 14 अतिक्रमण चिन्हित किए गए हैं।


वहीं, चूरू के रतनगढ़ तहसील में 33 अतिक्रमण चिन्हित किए गए हैं। जबकि काटली नदी बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक सुभाष कश्यप का दावा है कि तीनों जिलों में नदी बहाव क्षेत्र में लगभग 4000 से ऊपर अतिक्रमण है।


अतिक्रमण हटाने के दिए हैं निर्देश


अब जल संसाधन विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी व संबंधित जिला कलक्टरों की साइट पर डाला। इस पर संबंधित जिला कलक्टरों ने अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए सभी संबंधित तहसीलदारों को आदेश देकर आगे की कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है।


इनका कहना है…


एनजीटी के आदेश की पालना करते हुए काटली नदी बहाव क्षेत्र के सीकर, झुंझुनूं और चूरू में राजस्व, खनिज, उच्च प्रशासन, वन विभाग सहित अन्य विभागों के सहयोग से सर्वे पूरा कर रिपोर्ट संबंधित जिला कलक्टर को प्रेषित की गई।


वहीं, याचिकाकर्ता के द्वारा दोबारा एनजीटी में लगाई दलील पर सर्वे रिपोर्ट एनजीटी को भी सौंप दी गई। आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित जिला कलक्टरों को एनजीटी ने निर्देशित कर दिया। शीघ्र ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-नथमल खेदड़, अधिशासी अभियंता जल संसाधन विभाग खंड सीकर