
झालावाड़ राजस्थान सरकार की तमाम कोशिशों और जागरूकता अभियानों के बावजूद झालावाड़ जिले में सड़क हादसे मौत का कारण बनते जा रहे हैं। जनवरी से अक्टूबर 2025 तक के दस महीनों में जिले 327 हादसे हुए, जिनमें 151लोगों की मौत हुई। गत वर्ष की तुलना में हादसों में पचास फीसदी कमी आई है, लेकिन मौतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा कम नहीं हुआ है। अभी इस साल के दो माह और बाकी है। जिले में हर दूसरे दिन एक हादसा हो रहा है, जिसमें एक मौत हो रही है, ऐसे में आंकड़ा गत वर्ष के बराबर सा ही माना जा सकता है। यह स्थिति साफ बताती है कि रफ्तार, लापरवाही और सड़कें लोगों की जान ले रही हैं।झालावाड़ जिले में पुलिस और परिवहन विभाग ने ऐसे 11 स्थानों को चिन्हित किया है, जिन्हें ‘ब्लैक स्पॉट’ माना गया है। यानी वे स्थान जहां बार-बार सड़क हादसे हो रहे हैं।
वहीं राज्य सरकार ने परिवहन विभाग का नाम बदलकर परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग तो कर दिया, लेकिन विभाग सड़क सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करने में लगातार विफल रहा है। विभाग की ओर से सड़क सुरक्षा पर हर साल करीब 80 करोड़ रूपए खर्च हो रहे हैं। इसके बावजूद सड़क हादसों में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। प्रदेशभर की बात करें तो 2024 में कुल 11892 लोगों ने हादसों में जान गंवाई, जिसमें से 6155 मृतक 35वर्ष सेकम उम्र के हैं। हर साल सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या में करीब 2500 तक बढ़ रही है। प्रदेश में 2020 से 2024तक कुल 54815 मौंतें हुई है,इनमें 28675 मृतक 35 वर्ष से कम उम्र के है। प्रदेशभर में इस साल गत वर्ष से 4 फीसदी मौतें अधिक हुई है।
वर्ष मृतक
2020 9399
2021 10168
2022 11226
2023 12130
2024 11892
कुल 54815
स्थान मृतक व घायल
पत्रिका व्यू
तकनीक और सतर्कता ही बनेगी समाधान-
सड़क हादसे अब आंकड़े नहीं, रोजमर्रा की त्रासदी बन चुके हैं। झालावाड़ जिले में हर दूसरे दिन एक जान का जाना सिर्फ लापरवाही नहीं, सिस्टम की असफलता भी दर्शाता है। हादसों में कमी और मौतों में बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि सतही उपाय नाकाफी हैं। ब्लैक स्पॉट जस के तस हैं, सड़कों की हालत खराब है और निगरानी कमजोर। तकनीकी समाधान जैसे स्पीड गवर्नर, अल्ट्राविज सिस्टम और एआई आधारित निगरानी अब ज़रूरत बन गई है। सरकार की तकनीकी पहलें सराहनीय हैं, लेकिन इन्हें आधे-अधूरे नहीं, पूरी शक्ति से लागू करना होगा। अब वक्त है कागज़ी कार्रवाइयों से आगे बढ़ने का, वरना हर दूसरे दिन की एक मौत, कल किसी अपने की हो सकती है।
जिले में पिछले चार माह की तुलना गत वर्ष से करें तो हादसों व मृतकों की संख्या में 35 फीसदी की कमी आई है। जिले में पुलिस विभाग व परिवहन ने डि्रंक एवं ड्राइव के खिलाफ चालान बनाना शुरू कर दिया है। जहां भी रोड की वजह से एक्सीडेंट होने की संभावना थी, वहां रोड को सही करवाया गया है।
Updated on:
30 Oct 2025 08:31 pm
Published on:
30 Oct 2025 08:30 pm
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