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दिवाली पर पटाखों ने बरपाया कहर, 60 से अधिक झुलसे लोग पहुंचे अस्पताल

रोशनी और उल्लास का पर्व दिवाली जैसलमेर में कई परिवारों को पीड़ा दे गया। शहर और आसपास के क्षेत्रों में पटाखों से हुई दुर्घटनाओं में करीब 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनमें से 25 से अधिक की आंखों में चोटें आई हैं।

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रोशनी और उल्लास का पर्व दिवाली जैसलमेर में कई परिवारों को पीड़ा दे गया। शहर और आसपास के क्षेत्रों में पटाखों से हुई दुर्घटनाओं में करीब 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिनमें से 25 से अधिक की आंखों में चोटें आई हैं। दिवाली की रात के अलावा गत मंगलवार के साथ कुछ मरीज बुधवार को भी जिला चिकित्सालय के ट्रोमा सेंटर और नेत्र यूनिट में लाए गए। जहां चिकित्सकीय स्टाफ ने उनका उपचार किया। ट्रोमा सेंटर में चांधन से एक बच्चा लाया गया, जिसका पटाखा फूटने से हाथ की अंगुलियां क्षतिग्रस्त हो गई। ऐसे ही आंखों के जख्मी होने के कुछ बहुत गम्भीर किस्म के मामले भी नेत्र विशेषज्ञ डॉ. गौरव जोशी के पास पहुंचे। जिनमें कइयों का यहां उपचार किया गया तो करीब 6-7 जनों को प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर रेफर करना पड़ा।

रात-दिन चला सिलसिला

जैसलमेर शहर मुख्यालय और आसपास की कच्ची बस्तियों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आतिशबाजी के कारण मुख्यत: बच्चे और युवा घायल हुए। गौरतलब है कि दिवाली के बाद अगली रात भी जमकर पटाखे चलाए गए। ऐसे में कुछ मामलों में बच्चे व युवा जलते पटाखों को हाथ में लेकर खेलते रहे जिससे विस्फोट के दौरान हाथ-पैर और चेहरे पर गंभीर जलन हुई। जवाहिर चिकित्सालय के सूत्रों ने बताया कि दो दिनों के दौरान दर्जनों घायलों को उपचार के लिए लाया गया। इनमें 25 से ज्यादा मरीजों की आंखों में बारूद या तेज रोशनी से चोट पहुंची, जबकि कई लोगों के हाथों, पैरों और चेहरे पर जलने के निशान हैं। डॉ. जोशी ने बताया कि आंख से जुड़े कुछ घायल गंभीर समस्या से ग्रस्त थे। गत दो जनों की देखने की क्षमता नहीं रही। एक जने की आंख की पुतली फट गई। कुछ मामलों में कानों पर पटाखों के फटने से सुनने की क्षमता प्रभावित हुई है। कई मरीजों को हालत गंभीर होने के कारण जोधपुर रेफर किया गया। इस बार बाजारों में उच्च ध्वनि वाले पटाखों की भी खूब बिक्री हुई। देर रात तक पटाखों की तेज आवाज से शहर गूंजता रहा।

हाथ पर लगे बारुद को अच्छी तरह धोए

दिवाली के बाद बची हुई आतिशबाजी या अधजले पटाखों को हाथ न लगाएं। यदि आंख में बारूद या धुआं चला जाए तो चिकित्सकीय परामर्श लें। इसके अलावा हाथ पर बारूद लगने पर उन्हें अच्छी तरह धोकर साफ करें।

  • डॉ. गौरव जोशी, नेत्र विशेषज्ञ, जवाहिर चिकित्सालय, जैसलमेरधुएं ने प्रदूषित किया वातावरणदिवाली के मौके पर जैसलमेर शहर में की गई आतिशबाजी के चलते पर्यावरण पर भी विपरीत असर पड़ा। दिवाली और उसकी अगली रात भर पटाखों का शोर रह-रह कर कानों को सुनाई देता रहा। आकाश में पटाखों और विशेषकर स्काई शॉट जैसे आइटम्स से धुआं पूरे वायुमंडल में फैल गया। आमतौर पर जैसलमेर को प्रदूषण रहित शहर माना जाता है लेकिन दिवाली के पटाखों से कई लोगों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा। दूसरी ओर, शहर भर में की गई आतिशबाजी के चलते बुधवार को शहर के कई हिस्सों में विशेषकर अंदरूनी भागों में आतिशबाजी आदि का कचरा बिखरा हुआ रहा। हालांकि मुख्य स्थलों व मार्गों पर प्राथमिकता से सफाई किए जाने से वहां स्थितियां नियंत्रण में नजर आई।