Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

‘रिहर्सल’ में हास्य के जरिये दिखाया थियेटर निर्देशक का संघर्ष

-रवीन्द्र मंच के मिनी थियेटर में टैगोर थिएटर योजना के तहत हुआ मंचन

2 min read

जयपुर

image

Mohmad Imran

Aug 13, 2023

'रिहर्सल' में हास्य के जरिये दिखाया थियेटर निर्देशक का संघर्ष

'रिहर्सल' में हास्य के जरिये दिखाया थियेटर निर्देशक का संघर्ष

जयपुर। एक कहानी को पन्नों से निकालकर उसके किरदारों को अमलीजामा पहना मंच पर प्रस्तुत करने में उसके निर्देशक को कितने लोहे के चने चबाने पड़ते हैं, यह उसका दिल ही जानता है। कभी नाटक के लिए पैसा नहीं मिलता, कभी कलाकार रिहर्सल पर चकमा दे जाते हैं, कभी प्रोड्यूसर अपनी टांग अड़ा देता है। एक नाट्य निर्देशक की इसी व्यथा को हास्य की चाश्नी में पेश किया नाटक 'रिहर्सल' ने। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत रवीन्द्र मंच और कला साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, राजस्थान की ओर से मिनी थियेटर में इस नाटक का मंचन किया गया था। लक्ष्मीकांत वैष्णव के लिखे और युवा रंगकर्मी प्रीत का निर्देशित यह नाटक रंगकर्म से जुड़ी चुनौतियों को सहजता से प्रस्तुत करता है।

नाटक करना बच्चों का खेल नहीं
अक्सर हम बच्चों के जिद करने पर उन्हें कहते हैं कि नाटक मत करो, लेकिन 'रिहर्सल' की थीम ही यह है कि नाटक करना बच्चों का खेल नहीं है। किसी भी मंच प्रस्तुति से पहले उसका पूर्व अभ्यास यानी रिहर्सल किसी भी क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए अनिवार्य शर्त होती है। ऐसा इसलिए, ताकि किरदार और पात्र परिपक्व एवं सध हुआ अभिनय करें। मनुष्य जन्म से लेकर अपनी मृत्यु तक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखता है। अलग-अलग परिस्थितियों के दबाव में हालात से बचने के लिए एक्टिंग कर खुद से छलावा भी करता है। क्या वास्तव में नाटक करना बच्चों का खेल है? एक नाट्य निर्देशक के सामने नाटक तैयार करने के दौरान उसे किन-किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यही उतार चढ़ाव नाटक में दिखाए गए हैं।