फाइल फोटो पत्रिका
Rajasthan High Court : राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की जर्जर स्कूलों को लेकर बुधवार को फिर सख्ती दिखाई। कोर्ट ने स्कूलों के हालात सुधारने पर जोर देते हुए मौखिक टिप्पणी की कि पैसा अब दिया जा रहा है, काम कब होगा। बच्चों की आवश्यकता आज है कल तक इंतजार नहीं कर सकते। पांच लाख रुपए मरम्मत के लिए दिए जा रहे हैं, यह तो रंग-सफेदी में ही खर्च हो जाएंगे। काम कागजों में नहीं, धरातल पर उतरना चाहिए। कोर्ट ने इस कार्य की मॉनिटरिंग के लिए स्वतंत्र बॉडी बनाने की मंशा जाहिर करते हुए सभी पक्षों से इसके लिए सुझाव देने को कहा।
साथ ही कहा कि राजस्थान सरकार स्कूल मरम्मत व बजट के सम्बंध में विस्तृत योजना पेश करे। अब सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी। न्यायाधीश महेन्द्र कुमार गोयल और न्यायाधीश अशोक कुमार जैन की विशेष खंडपीठ ने झालावाड़ स्कूल हादसे को लेकर स्वप्रेरणा से दर्ज याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश कर जर्जर स्कूलों की मरम्मत के बजट की जानकारी दी।
महाधिवता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि अधिक जर्जर स्कूलों की मरम्मत आगामी मार्च तक पूरा हो जाएगी और शेष कार्य अगले साल नवम्बर तक पूरा हो जाएगा। मरम्मत के लिए केन्द्र सरकार से भी पैसा आने वाला है। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की, लगता है बिना परीक्षण फौरी तौर पर मरम्मत का बजट तय किया है। इसके जवाब में महाधिवता ने कहा कि जरूरत पड़ेगी तो और बजट जारी कर दिया जाएगा।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि ठेकेदार की गलती से हादसे होते हैं। ऐसे में निरीक्षण सार्वजनिक निर्माण विभाग के बजाय स्वतंत्र एजेंसी से कराया जाना चाहिए। धरातल पर काम दिखाई नहीं दे रहा। आज भी स्कूल टीन शेड के नीचे चल रहे हैं। सभी जिलों में कार्य की ग्रेडिंग कर प्राथमिकता तय की जाए। फिलहाल हमारा बच्चों की सुरक्षा पर फोकस है। प्राइवेट और सभी स्कूलों में आग से बचाव सहित अन्य स्थितियों के बारे में सर्टिफिकेट लिया जाना चाहिए।
महाधिवता ने स्कूलों में सुधार का रोडमैप बताने के लिए समय मांगा, वहीं कहा कि स्वतंत्र एजेंसी से निरीक्षण कराने के संबंध में सरकार से निर्देश लेने पड़ेंगे। इस पर कोर्ट ने सुनवाई 31 अटूबर तक टाल दी।
Published on:
16 Oct 2025 08:35 am
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