फाइल फोटो पत्रिका
Rajasthan High Court : राजस्थान हाईकोर्ट ने रील बनाते समय गोली चलने से मौत के मामले में आरोपी किशोर को राहत दी। कोर्ट ने कहा कि 16 से 18 साल आयु के बाल अपचारी भी गंभीर अपराध के मामले में किशोर न्याय अधिनियम की धारा 12 के तहत जमानत का अधिकार रखते हैं। कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड और कोटा के बाल न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए यह भी कहा कि गंभीर अपराध के मामले में संप्रेक्षण गृह को अंतिम उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए। साथ ही आरोपी के अभिभावकों को हिदायत दी कि वह किशोर को अपराधियों की संगत में नहीं पड़ने दें।
न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने आरोपी की मां के जरिए दायर रिवीजन याचिका पर यह आदेश दिया। अधिवक्ता कपिल गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि रील बनाने के दौरान गोली चलने से युवक की मौत एक हादसा था, उस समय प्रार्थी की उम्र 16.2 साल थी। बाल न्यायालय ने उसके खिलाफ वयस्क आरोपी के रूप में कार्रवाई करने का आदेश दिया और जमानत अर्जी खारिज कर दी।
रिवीजन याचिका में कहा कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा 12 के तहत किशोर को भी जमानत का अधिकार है। अपराध की गंभीरता के आधार पर जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं राज्य सरकार और शिकायतकर्ता की ओर से कहा कि गोली लगने से एक युवक की मौत हो गई, ऐसे में जमानत नहीं दी जाए। कोर्ट ने सभी पक्ष सुनने के बाद आरोपी किशोर को राहत दी।
Published on:
19 Oct 2025 08:54 am
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