कॉलेज की प्रेम गली में मंडराता भंवरा
नाटक कॉलेज में पढऩे वाले छात्र मुरारी और वेदिका के प्रेम और कॅरियर संवारने की जद्दोजहद के बीच हिचकोले खाती अनकहे प्यार की कहानी है। यह एक यथार्थवादी नाटक है लेकिन नाटक के बीच-बीच में हास्य और व्यंग्य के पुट भी जोड़े हैं। संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित रंगकर्मी अभिषेक मुद्गल ने समीक्षा करते हुए बताया कि नाटक का सेट बहुत ही सिंबॉलिक है। सौरभ ने नाटक में लाइव म्यूजिक और कोरियोग्राफी के प्रयोग से इसे फिल्म के चलने जैसा आभास दिया है, जो थियेटर और लाइव परफॉर्मेंस के लिहाज से काबिले तारीफ है। एक्टर्स की टाइमिंग, कमाल के मूवमेंट्स बेहद टाइट रिहर्सल का नतीजा है।
लाइव गीत संगीत और मैन्युअल स्पेशल इफेक्ट्स ने मोहा
रंग बिरंगी कॉस्ट्यूम रोमांटिक कहानी को सपोर्ट करते हैं। नायक-नायिका के क्लाइमैक्स में मिलने वाला सीन बेहद खूबसूरत है। उसे रिपीट करने के मूवमेंट्स कमाल के थे। संसद पर की गई टिप्पणी, गाने, संगीत और अदायगी बहुत रोचक और उम्दा थी। मुरारी बने अंकित ने कमाल का किरदार निभाया है। विमल पांडे, वेदिका बनीं श्वेता समेत हर कलाकार ने अपने किरदार से दर्शकों को खूब हंसाया। पत्रकारिता के इंटरव्यू वाले सीन थोड़े लंबे और बोझिल हैं। यह कहानी से भी मैच नहीं करता। इसी सीन में लीड रोल कर रहे अंकित का अनावश्यक आना भी उनके किरदार को ब्रेक करता है। नाटक का सेट बहुत ही सिंबॉलिक और हल्का रखा गया है जिस से की अभिनेताओं का मूवमेंट ठीक से हो सके। सौरभ अपने नाटकों में लाइव म्यूजिक और कोरेग्राफी का जो प्रयोग करते हैं वो काबिले तारीफ़ है। अभिनेताओं ने कोरस बनकर कमाल के मूवमेंट्स बनाए हैं । उनकी टाइमिंग समय समय पर नाटक की बेहद टाइट रिहर्सल होने का प्रमाण देते हैं ।
कुछ जगह सीन छोटे किये जा सकते थे
पत्रकारिता के इंटरव्यू वाले सीन थोड़े लंबे और बोझिल हो जाते हैं। हालांकि ऑडियंस बहुत एंजॉय करती है लेकिन नाटक को कहानी से ये कहीं मैच नही करती। इसी सीन में अंकित जो की लीड रोल कर रहे हैं उनका आना उनके चरित्र को तोड़ता है ये रोल कोई ओर भी कर सकता था। ये सीन आते ही प्रेम पतंगा से पूरा संबंध खत्म हो जाता है। इस नाटक में इस सीन का होना समझ नही आता। नाटक में इस पूरे सीक्वेंस का होना बहुत अनावश्यक लगता है।
निर्देशक का विज़न और इनोवेशन समझदारी भरा
जिस तरह नाटक में कोरस का बर्थडे सीन चमत्कारिक है। जिस तरह स्टेज बदलता है वो सौरभ अनंत की निर्देशन की काबिलियत है की उन्हें ऑडियंस को हिपनोटाइज करना आता है। ये एक कुशल निर्देशक की पहचान होती है। आखिरी सीन बेहद संजीदा मालूम होता है। अंकित उस सीन में कमाल करते दिखते हैं। ऑडिएंस भी जहां की तहां ठहर जाती है। जीवन में केवल असफल प्रेम कहानियां ही जीवित रहती है जैसे संवाद दिल छू जाते हैं। 'ओ सजनी में कैसे कहूं आई लव यू' गाने से अंत दर्शकों को खुशी के आंसू देते हुए हंसा जाता है।
साधारण प्रेम कहानी की असाधारण प्रस्तुति
नाटक प्रेम पतंग एक आम से लड़के की बेहद संजीदा कहानी कहता है। उसे आम से लड़के का पत्रकारिता के कॉलेज में पढ़ना वहां पर पढ़ने वाली एक खास लड़की से उसकी मोहब्बत और फिर दोस्त और यारों के फलसफे में फंसा हुआ बेचारा मुरली जैसी कई कहानियां हम अपने आसपास देखते हैं जो लड़के अपने प्यार का इजहार करने से रह जाते हैं और फिर जिंदगी भर अपने उसे पाल को खोजते रहते हैं कि शायद उसे पाल हिम्मत कर ली होती तो आज जिंदगी कुछ और होती ऐसी ही कहानी को सौरव अनंत ने अपने नाटक प्रेम पतंग से कहने की कोशिश की है सौरभ बेहद उम्दा निर्देशक माने जाते हैं उनके नाटक कनुप्रिया हास्य चूड़ामणि कई और भी नाटक देश के कई राज्यों में और कई बड़े महोत्सवों की शोभा बढ़ा चुके सौरभ के पास कमिटेड टीम है जो उनके नाटकों को लगातार हिट करने के लिए मदद करती रहती है सबसे शानदार बात सौरभ के नाटकों की उनका संगीत होता है जिस तरह वह गानों और संगीत के साथ नाटक को बांधते हैं ऐसा कोई और निर्देशक बहुत मेहनत के बाद कर पता है लेकिन यह अच्छी बात है की सौरभ का संगीत का ज्ञान उनके नाटकों को सुंदर बनाने में बेहद मदद करता है और यही बात प्रेम पतंग के साथ भी जाहिर होती है
क्लाइमेक्स ने दर्शकों को दी राहत, लगा जैसे फिल्म ख़त्म हुई हो
हीरो हीरोइन के मिलने वाला सीन बेहद खूबसूरत जान पड़ता है । उसे रिपीट करने के मूवमेंट्स बहुत कमाल थे ।
'ओ शिट ओ शिट ओ शिट
अंग्रेज़ी में करें गीत पिट'
जैसे गाने ऑडियंस को झूमने पर मजबूर करते हैं।
संसद पर की गई टिप्पणी बेहद सटीक बैठ ती है । चुतिया, हरामखोर, रास्कल, इन शब्दों का प्रयोग वर्जित है ये कोई संसद थोड़ी है... ऐसे संवाद रंगमंच के सामाजिक महत्व को और बढ़ा देते हैं । मुरारी बने अंकित पारोचे बेहद कमाल का किरदार पकड़े हुए हैं। कुछ और अभिनेताओं ने भी कमाल का अभिनय किया है जिनमे विमल पांडे ने अपना ही किरदार निभाया और वेदिका बनी श्वेता केलकर ने खासा प्रभावित किया है। रंग मंच पर यह प्रेम पतंगा का 12वां मंचन रहा। नाटक में रंग सामग्री एवं वेशभूषा स्वेता केतकर की है जबकि गीत संगीत हेमंत देवलेकर ने दिया है। नाटक में लाइव म्यूजिक के साथ शिल्पकला और मूर्तिकला के अंश भी देखने को मिले। नाटक में अंश जोशी, हर्ष झा, रुद्राक्ष भाईरे, शुभम कटियार, ईशा गोस्वामी, स्नेहा बाथरे, कोमल पांडे, जिया, हेमंत देवलेकर, मिलन, आयुष लोखंडे, कैलाश राजेके और दीपक यादव ने सह कलाकारों की भूमिका निभाई है।
Published on:
30 Dec 2023 05:18 pm