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450 से ज्यादा हलवाई, 41 भट्टियों पर बनाएंगे प्रसादी, खोले के हनुमान मंदिर में इस तारीख को होगा लक्खी महोत्सव

Jaipur News: शहर के विभिन्न मंदिरों में ठाकुरजी को सैकड़ों व्यंजन अर्पित किए जाएंगे। खोले के हनुमान जी का अन्नकूट भी साप्रदायिक सौहार्द की मिसाल के लिए बेहद खास है।

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Photo: Patrika

Annakut 2025 In Khole Ke Hanuman Ji Mandir: शरद ऋतु की नई फसलों -अनाज की शुरुआत और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता के उत्सव अन्नकूट महोत्सव के शहर के मंदिरों, विभिन्न समाजों तथा कॉलोनी विकास समितियों की ओर से अन्नकूट महोत्सव का आयोजन होगा।

राजधानी के प्रमुख आयोजनों में से एक खोले के हनुमान मन्दिर में लक्खी अन्नकूट महोत्सव नौ नवंबर को होगा। कभी जयपुर की राजसी संस्कृति का प्रतीक रहा अन्नकूट महोत्सव का आयोजन अब मेल-जोल और सामाजिक एकता का प्रतीक का बन चुका है।

खोले के हनुमानजी स्थित नरवर आश्रम सेवा समिति के महामंत्री बीएम शर्मा ने बताया कि मंदिर परिसर में स्थित 11 शिवालय समेत खोले के हनुमानजी, रामचन्द्र जी, प्रेमभाया, गायत्री माता, गंगा माता सहित अन्य मन्दिरों में अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा। आसपास के क्षेत्र के 61 मन्दिरों में भी मूंग, मोठ, बाजरा, चावल, मिक्स सब्जी व पूड़ी सहित अन्य व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा।

इससे पूर्व सुबह हनुमान जी का अभिषेक कर चौला धारण कराया जाएगा। अनुपम शृंगार कर 56 भोग अर्पित किए जाएंगे। करीब पौने दो लाख श्रद्धालु पंगत प्रसादी ग्रहण करेंगे। इसके लिए 41 भट्टियों पर 450 से ज्यादा हलवाई प्रसादी तैयार करेंगे।

शहर के विभिन्न मंदिरों में ठाकुरजी को सैकड़ों व्यंजन अर्पित किए जाएंगे। खोले के हनुमान जी का अन्नकूट भी साप्रदायिक सौहार्द की मिसाल के लिए बेहद खास है। आगामी दिनों में अलग—अलग समाजों, मंदिर प्रबंधनों और विकास समितियों की ओर से 500 से अधिक आयोजन मंदिरों में होंगे।

समाज के मेधावियों का होगा समान

अग्रवाल समाज, मालवीय नगर की ओर से नौ नवंबर को स्नेह मिलन समारोह का आयोजन होगा। अध्यक्ष सुभाष मित्तल एवं महामंत्री रामपाल जैन ने बताया कि शिवानंद मार्ग स्थित अग्रसेन भवन में दोपहर तीन बजे समाज के मेधावियों को समानित किया जाएगा। शाम 4.30 बजे से समाजजन अन्नकूट की प्रसादी ग्रहण करेंगे।

ठाकुरजी के रथ को खींचते थे पूर्व राजपरिवार के सदस्य

इतिहासकार देवेंद्र भगत ने बताया कि पूर्व महाराजा माधोसिंह अन्नकूट के दिन ठाकुरजी के साथ मार्गपाली की शाही सवारी निकालते थे। पूर्व राजपरिवार स्वयं गोवर्धन पूजा में भाग लेता था, ठाकुरजी के रथ को हाथों से खींचता था।

हर मोहल्ले में प्रसाद वितरण की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक ‘नगर प्रसाद अधिकारी’ नियुक्त किया था। यह अधिकारी अन्नकूट के दिन प्रसाद को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाता था।