
बीमे के खेल में पारिवारिक कत्लों की खौफनाक कहानी | AI Generated Image
Insurance murder case in Hapur: मेरठ के गंगानगर में रहने वाले मुकेश सिंघल का परिवार खुशहाल जीवन बिता रहा था। पत्नी प्रभा देवी, बेटा विशाल और बहू एकता के साथ सबकुछ सामान्य था। लेकिन 2017 में अचानक आई एक घटना ने पूरे परिवार की तस्वीर बदल दी। प्रभा देवी सड़क हादसे में घायल हुईं और इलाज के दौरान आनंद अस्पताल में उनकी मौत हो गई। परिवार अभी इस सदमे से उबर भी नहीं पाया था कि कुछ साल बाद फिर एक नई त्रासदी ने दरवाजा खटखटाया।
2022 में मुकेश की बहू एकता की अचानक तबीयत बिगड़ी। उसे भी मेरठ के आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के बाद छुट्टी मिल गई, लेकिन अगले ही दिन रात में उसकी मौत हो गई। परिवार ने इसे सामान्य घटना समझा, लेकिन ये कहानी यहीं खत्म नहीं हुई थी। ये मौतें दरअसल एक खौफनाक साजिश का हिस्सा थीं, जिसे खुद घर के बेटे ने रचा था।
मार्च 2024 में मुकेश सिंघल हापुड़ गए, जहां सड़क हादसे में उन्हें मामूली चोटें आईं। उन्हें हापुड़ के नवजीवन अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन बेटे विशाल ने उसी रात मेरठ के आनंद अस्पताल में शिफ्ट कराया। कुछ ही घंटों बाद इलाज के दौरान मुकेश की मौत हो गई। अब पुलिस ने खुलासा किया है कि यह हादसा नहीं बल्कि सुनियोजित हत्या थी, जिसका मकसद था 50 करोड़ का बीमा क्लेम।
संभल की ASP अनुकृति शर्मा की टीम ने जब 100 करोड़ से ज्यादा के बीमा फर्जीवाड़े का नेटवर्क पकड़ा, तब कई पुराने केसों की जांच दोबारा शुरू हुई। इन्हीं में मुकेश सिंघल का केस सामने आया। बीमा कंपनियों ने पाया कि इस केस में कुल 50 करोड़ का बीमा था और लगभग 39 करोड़ का क्लेम किया गया था, जिसमें से एक कंपनी ने डेढ़ करोड़ रुपए विशाल सिंघल को भी दे दिए थे।
IPS अनुकृति शर्मा ने बताया कि विशाल सिंघल पहले बीमा इन्वेस्टिगेटर रह चुका था। उसे बीमा प्रक्रिया की बारीक समझ थी। इसी ज्ञान का इस्तेमाल उसने खुद के परिवार को खत्म करने में किया। पहले उसने मां की मौत को भी सड़क हादसे के रूप में दिखाया और अब पिता की मौत के लिए 3 साल इंतजार किया ताकि बीमा अवधि पूरी हो जाए और कोई सवाल न उठे।
विशाल ने पिता को मारने के लिए तीन साल तक प्लानिंग की। जब सभी पॉलिसी की अवधि पूरी हुई, तब 27 मार्च 2024 को हत्या की तारीख तय की। पहले हापुड़ में हल्का एक्सीडेंट कराया गया, फिर पिता को आनंद अस्पताल लाया गया। यहां डॉक्टर और मैनेजर की मदद से तकिए से मुंह दबाकर पिता की हत्या की गई। बदले में डॉक्टर को 1 लाख और मैनेजर को 50 हजार रुपए दिए गए।
बीमा कंपनी के प्रतिनिधि ने 1 अप्रैल को मुकेश की फोटो खींची थी, जिसमें सिर पर कोई चोट नहीं थी। लेकिन 2 अप्रैल को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में 6 से 8 सेमी गहरे घाव का जिक्र आया। रिपोर्ट में मौत का कारण सिर की चोट बताया गया। जांच में खुलासा हुआ कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हेराफेरी कराई गई थी, ताकि हत्या को एक्सीडेंट दिखाया जा सके।
IPS अनुकृति ने बताया कि पिता की मौत से दो महीने पहले विशाल ने लोन पर चार महंगी कारें खरीदी थीं। 25 जनवरी से 6 फरवरी के बीच ली गईं इन कारों का पूरा बीमा भी कराया गया था। इससे साबित हुआ कि हत्या से पहले वह आर्थिक सुरक्षा की प्लानिंग कर चुका था।
पहले यह केस एक्सीडेंट बताकर बंद कर दिया गया था। लेकिन जब संभल पुलिस ने ठोस सबूत दिए, तब हापुड़ पुलिस ने कोर्ट से अनुमति लेकर केस री-ओपन किया। अब हत्या की धारा जोड़ दी गई है। विशाल सिंघल, उसके जीजा संजय और दोस्त सतीश तीनों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
बीमा कंपनियों ने 2024 में ही मेरठ SSP को शिकायत दी थी कि यह मामला एक्सीडेंट नहीं, हत्या का है। उन्होंने डॉक्टरों के बयान दर्ज कराए जिनमें कहा गया कि हॉस्पिटल रिपोर्ट और पोस्टमॉर्टम में विरोधाभास है। जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में लिखा कि विशाल का अपनी पत्नी से विवाद था और उसके खिलाफ हत्या का संदेह पहले से था।
Published on:
27 Oct 2025 12:23 pm
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