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आउटसोर्स कर्मियों का वेतन रोका, चार महीने से सैलरी बकाया

MP News: गुना जिला अस्पताल में आउटसोर्स कर्मियों का शोषण उजागर हुआ है। मजदूरों को 12 हजार की जगह मिल रहे सिर्फ 5-8 हजार रुपए, चार महीने से वेतन बकाया, श्रम विभाग सख्त।

3 min read

गुना

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Akash Dewani

Oct 15, 2025

guna district hospital outsourced workers salary scam mp news

guna district hospital outsourced workers salary scam (फोटो- सोशल मीडिया)

Outsourced Workers Salary:गुना जिला अस्पताल (guna district hospital) में सिक्योरिटी, पर्चा बनाने वाले, आया आदि के पद पर आउट सोर्स कंपनियों के कर्मचारी काम कर रहे है। लेकिन आउट सोर्स कंपनियां या एजेन्सी इन कर्मचारियों का आर्थिक शोषण करने में जुटी हुई है।

अकुशल श्रमिको का प्रतिमाह 12150 रुपए वेतन दिया जाना मप्र सरकार ने निर्धारित किया हुआ है। लेकिन आउट सोर्स पर काम कराने वाली कंपनी और एजेंसियों के लोग से उन कर्मचारियों को पांच बमुश्किल आठ हजार रुपए वेतन दे रहे हैं। न ही उन कर्मचारियों को पीएफ की सुविधा है और न ही किसी भी प्रकार की श्रमिकों को मिलने वाली सुविधाएं। (mp news)

जिला श्रम कार्यालय पहुंचा मामला

ऐसा ही एक मामला हाल ही में जिला अस्पताल में काम करने वाली एजेन्सी वर्ल्ड क्लास सिक्योरिटी जिला श्रम कार्यालय में पहुंचा है, जहां इस एजेन्सी के अधीन काम करने वाले श्रमिकों ने बीते चार माह से वेतन न मिलने की शिकायत की है और न ही किसी भी प्रकार की हम जैसे श्रमिकों को सुविधा दी जा रही है।

दीपावली त्यौहार नजदीक है, उनको वेतन तक नहीं मिल पा रहा है। इन कर्मचारियों की शिकायत पर श्रम विभाग ने नोटिस पर नोटिस देने के बाद भी जवाब न देने पर अंतिम नोटिस दिया है, इस नोटिस का जवाब न देने पर जिला श्रम विभाग उक्त सिक्योरिटी एजेन्सी के विरुद्ध श्रम न्यायालय में केस भेज सकता है। (mp news)

ये है मामला

जिला अस्पताल में नियमित कर्मचारियों की कमी के चलते सुरक्षा, खान-पान आदि कार्य के लिए टेंडर आमंत्रित किए जाते है। जिनका टेंडर तो बड़ी कंपनियां या एजेंसी लेती है, लेकिन स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली लोग उक्त काम को पेटी कान्ट्रेक्टर के रूप में ले लिए जाते हैं।

ऐसा भी इस बार हुआ है खान-पान का ठेका कोलकाता की कंपनी के नाम से है, लेकिन काम स्थानीय लोग कर रहे है। यह कंपनियां और एजेन्सी काम कराने के लिए स्थानीय लोगों को रख तो लेती हैं लेकिन उनको वेतन नहीं दिया जाता है। ऐसा ही अभी जिला अस्पताल में वर्ल्ड क्लास सिक्योरिटी एजेंसी इंदौर का मामला सामने आया है। (mp news)

लिखित में शिकायत की कर्मियों ने

इस कंपनी के अधीन जिला अस्पताल में आउट सोर्स पर काम करने वाले लगभग पन्द्रह लोगों को चार माह से वेतन नहीं मिला है। इन लोगों ने जिला श्रम कार्यालय में शिकायत की, उनका कहना था कि श्रमायुक्त द्वारा निर्धारित अकुशल श्रमिकों का वेतन 12150 अर्द्धकुशल का 13146 कुशल 14869 और उच्च कुशल श्रमिकों को 16494 रुपए मिलना चाहिए। लेकिन हम लोगों को निर्धारित वेतन से भी कम यानि नौ हजार की जगह छह से आठ हजार रुपया दी जा रही है। वेतन न मिलने से हम लोगों की आर्थिक स्थिति घड़बडा रही है। (mp news)

सफाई कर्मी ने बताई सच्चाई

जिला अस्पताल में आया, सफाई कर्मी आदि काम करने वालों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमको पांच हजार रुपए हर माह वेतन दिए जाने की बात थी, लेकिन तीन से चार हजार रुपया वेतन दिया जा रहा है, वेतन बढ़ाने की बात कहने पर नौकरी से निकाले जाने की धमकी दी जाती है। जब उनसे पूछा गया कि किसी भी तरह की ग्रेच्युटी या पीएफ काटा जाता है तो उन्होंने कहा कि इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है। जब वेतन ही पूरा नहीं दिया जा रहा है तो पीएफ कहां से काटा जाता होगा। इसके साथ ही समय पर वेतन न दिए जाने की बात कही। (mp news)

सिक्योरिटी एजेंसी को भेजा नोटिस

बताया गया कि वर्ल्ड क्लास सिक्योरिटी एजेंसी के विरुद्ध शिकायत जब जिला श्रम कार्यालय में हुई तो श्रम अधिकारी आलोक तिवारी ने इस एजेंसी के मुख्यालय को नोटिस भेजा, जिसका जवाब न मिलने पर अंतिम नोटिस श्रम कार्यालय से उक्त एजेंसी को भेजा गया है। आलोक तिवारी ने कहा कि इसका जवाब न मिलने पर एक पक्षीय कार्यवाही के रूप में इस मामले को श्रम न्यायालय क्रमांक-3 में पेश किया जाएगा। उचर जिला अस्पताल का कहना है कि हम तो लगातार संबंधित आउट सोर्स कंपनी या एजेंसी को भुगतान कर रहे हैं। (mp news)

दिया गया अंतिम नोटिस- जिला अम अधिकारी

दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों एवं कर्मचारियों का श्रमिकों के वर्ग अनुसार न्यूनतम वेतन, महंगाई भत्ता जो तय है वह मिलना चाहिए। यदि नहीं मिल रहा है तो वो हमारे कार्यालय में आकर शिकायत कर सकता है। वर्ल्ड क्लास सिक्योरिटी एजेंसी को अंतिम नोटिस दिया है. यदि जवाब नहीं आता है तो श्रम न्यायालय में मामला भेज दिया जाएगा।- आलोक तिवारी, जिला अम अधिकारी गुना