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मौसम की मार: 72 घंटे में करें फसल क्षति की रिपोर्ट, वरना नहीं मिलेगा बीमा लाभ! जानिए टोल फ्री नंबर

चक्रवाती बारिश से धान-मक्का फसलें बर्बाद ! कृषि विभाग ने किसानों को चेताया- अगर 72 घंटे में नुकसान की सूचना नहीं दी। तो बीमा का पैसा अटक जाएगा। जानिए कैसे और कहां करें रिपोर्ट दर्ज। इसके लिए टोल फ्री नंबर जारी किया गया है।

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Gonda

बारिश के कारण खेतों में भीग रही फसल सोर्स पत्रिका

गोण्डा में 29 अक्टूबर से जारी रुक-रुक कर हो रही चक्रवाती बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। मौसम की मार से धान और मक्का जैसी खरीफ फसलों को भारी नुकसान की आशंका जताई जा रही है। कृषि विभाग ने ऐसे किसानों से अपील की है जिन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराया है कि वे फसल क्षति की सूचना 72 घंटे के भीतर अनिवार्य रूप से दें। ताकि समय से सर्वे कराकर बीमा लाभ प्राप्त हो सके।

बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात के प्रभाव से गोण्डा जिले में बीते तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश ने खेतों में खड़ी धान और मक्का की फसलों को नुकसान पहुंचाया है। कई इलाकों में खेतों में पानी भर गया है। जिससे कटाई के इंतजार में खड़ी फसलें झुकने लगी हैं। इस बीच कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे नुकसान की सूचना समय से दें, जिससे उनका बीमा दावा समय पर निपटाया जा सके।

कृषि विभाग की अपील किसान 72 घंटे के अंदर दे सूचना

विभागीय अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत जिन किसानों ने अपनी खरीफ फसल का बीमा कराया है, वे फसल क्षति की सूचना 72 घंटे के भीतर अवश्य दर्ज कराएं। किसान अपनी फसल क्षति की लिखित रिपोर्ट अपने विकास खंड कार्यालय में सहायक विकास अधिकारी (कृषि), बीमा कंपनी के प्रतिनिधि, उप कृषि निदेशक या जिला कृषि अधिकारी के कार्यालय में जमा करा सकते हैं।

कृषि विभाग ने जारी किया टोल फ्री नंबर

इसके अलावा किसान बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर 14447 पर भी फसल क्षति की सूचना दर्ज करा सकते हैं। सूचना मिलने के बाद विभागीय अधिकारी और बीमा कंपनी के प्रतिनिधि मौके पर पहुंचकर नुकसान का सर्वे करेंगे।

किसान समय सीमा का रखें ध्यान

कृषि विभाग ने किसानों को चेताया है। कि सूचना में देरी होने पर बीमा लाभ प्राप्त करने में कठिनाई आ सकती है। इसलिए हर किसान समय सीमा का विशेष ध्यान रखे और बारिश से प्रभावित फसल की जानकारी तत्काल उपलब्ध कराए। विभाग ने कहा कि शासन स्तर पर प्रभावित किसानों को यथाशीघ्र राहत दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।