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मीनू बोर्ड में लिखे पौष्टिक आहार की जगह परोसे जा रहे सादा चावल व पतली दाल

गुरुमगांव के प्राथमिक विद्यालय का हाल, बिना कार्य के ही निकल गई राशिडिंडौरी. बजाग विकासखंड के ग्राम गुरुमगांव प्राथमिक विद्यालय में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। यहां बच्चों के हिस्से के पोषक आहार में गड़बड़ी की जा रही है। फाइन क्वालिटी चावल की जगह मोटा, टूटा और कीड़ा लगा चावल बच्चों को परोसा जा रहा […]

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गुरुमगांव के प्राथमिक विद्यालय का हाल, बिना कार्य के ही निकल गई राशि
डिंडौरी. बजाग विकासखंड के ग्राम गुरुमगांव प्राथमिक विद्यालय में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। यहां बच्चों के हिस्से के पोषक आहार में गड़बड़ी की जा रही है। फाइन क्वालिटी चावल की जगह मोटा, टूटा और कीड़ा लगा चावल बच्चों को परोसा जा रहा है। विद्यालय परिसर में रखे चावल में कीड़े लगे हुए हैं। स्कूल की दीवार पर मीनू बोर्ड लगा है जिसमें सोमवार से शनिवार तक बच्चों के लिए पुलाव, खीर, सब्ज़ी, दाल, लड्डू और सलाद जैसे पौष्टिक व्यंजन लिखे हैं पर हकीकत में बच्चों को प्रतिदिन सिर्फ सादा चावल और पतली दाल परोसी जा रही है। ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि मीनू सिर्फ दिखावे के लिए टांगा गया है, पालन कभी नहीं होता। बच्चों को जो कुछ मिल जाए, वही खाना पड़ता है। विद्यालय के रसोईघर की हालत बेहद खराब है। छत का पूरा प्लास्टर उखड़ चुका है, लोहे की सरिया बाहन निकल आई हैं और ऊपर से सीलन बनी हुई है। बरसात के दिनों में पानी अंदर रिसता है, जिससे भोजन बनाना मुश्किल हो जाता है। किचन में रखे बर्तन जंग खा चुके हैं और दीवारों पर गंदगी की परतें जमी हैं। साफ-सफाई का नामोनिशान नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि यह रसोई किसी भी दिन गिर सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है।


रंग रोगन कर सुविधाघर को दिखा दिया पूरा


विद्यालय परिसर में बना सुविधाघर वर्षों से अधूरा है। अंदर फर्श नहीं है, न टाइल्स, न पानी की पाइपलाइन। इसके बाद भी बाहर की दीवारों पर रंग-रोगन कर निर्माण पूर्ण दिखा दिया गया और भुगतान निकाल लिया गया। सुविधाघर व्यवस्थित न होने की वजह से उन्हे खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है।


हैंडवॉश यूनिट टूटी, स्वच्छ पानी की व्यवस्था ठप


बच्चों के लिए बनाई गई हैंडवॉश यूनिट और स्टील टैंक भी टूट-फूट गए हैं। टोंटियां टूटी हैं, पानी का रिसाव लगातार होता रहता है और आसपास गंदगी फैली रहती है। ग्रामवासियों ने बताया कि अधिकारियों की निगरानी सिर्फ कागज़ों तक सीमित है। कभी निरीक्षण की खबर आती है, तो एक-दो दिन सफाई कर ली जाती है, फिर हालात वैसे ही हो जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य के साथ खिलवाड़ है। शिक्षा विभाग और पंचायत अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों और अभिभावकों ने कलेक्टर से मांग की है कि विद्यालय में संचालित मध्यान्ह भोजन, निर्माण कार्य और खर्च की गई राशि की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए। जिम्मेदार अधिकारियों, ठेकेदारों और सप्लायरों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में बच्चों के साथ इस तरह की लापरवाही न हो।