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Tori Sabji Benefits : तोरई खाने के एक नहीं कई हैं फायदे, डायबिटिज करे कंट्रोल, पेट साफ करने के लिए भी रामबाण

Tori sabji benefits : तोरई एक ऐसी सब्जी है जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती है। इसके कई ऐसे अनगिनत फायदे हैं। जिसे जानकर शायद आप हैरान हो जाएं।

भारत

Dimple Yadav

Jul 29, 2025

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Tori Sabji Benefits

Tori Sabji Benefits: भारत में तोरई की सब्जी तो लगभग सभी घरों में बनती है, जिसका सेवन स्वाद के साथ ही साथ सेहत से भी जुड़ा हुआ है। तोरई पचने में आसान होती है और गर्मियों के मौसम में शरीर को ठंडक भी देती है। लेकिन इसके कई ऐसे अनगिनत फायदे हैं जिसके बारे में जानकर शायद आप भी हैरान हो जाए कि ये आम सी दिखने वाली तोरई हमारे स्वास्थ्य के इतना फायदेमंद है।

दरअसल तोरई का वैज्ञानिक नाम लुफ्फा एक्युटंगुला है। अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक तोरई का पौधा मुख्य रूप से भारत, चीन, जापान, मिस्र और अफ्रीका के कई हिस्सों में पाया जाता है। यह पौधा भारतीय देसी इलाज में कई तरह की बीमारियों के लिए काम आता है, जैसे पीलिया, शुगर (डायबिटीज), बवासीर, दस्त, सिरदर्द, दाद और कुष्ठ जैसी पुरानी स्किन की बीमारियों में भी इसका यूज किया जाता है।

जानिए इसके आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक फायदे

इसमें नेचुरल पेप्टाइड्स पाया जाता हैं जो हमारी बॉडी में इंसुलिन की तरह काम करता हैं, इसलिए यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होती है। इसका सब्जी के रूप में नियमित सेवन करना सेहत के लिए बहुत लाभकारी है। चरक संहिता में तोरई को ऐसी सब्जी बताया गया है जो खाना पचाने में मदद करती है और खून को साफ करने का काम करती है। इसे पाचन के लिए फायदेमंद माना गया है और कहा गया है कि ये कब्ज, गैस और अपच जैसी पेट की दिक्कतों को दूर करने में भी मदद करती है।

शरीर को मिलेगी ठंडक और ताजगी

इस सब्जी को खाने से हमारी बॉडी ठंडी रहती है। साथ ही इसमें पानी काफी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर में तापमान को कंट्रोल करने में मदद करता है और हमें डिहाइड्रेशन से भी बचाता है। वहीं, इसमें कुछ ऐसे प्राकृतिक गुण होते हैं जो दिमाग को शांत रखने और मानसिक सेहत को ठीक रखने में मदद करते हैं। इसे खाने से त्वचा साफ और सेहतमंद रहती है। पुराने देसी इलाजों में तोरई का इस्तेमाल त्वचा की समस्याओं और बालों की देखभाल के लिए भी किया जाता है।

नेचुरल लूफा से लेकर ब्लड प्योरीफायर तक

इतना ही नहीं आज भी गांवों के कई लोग इसे लूफा के रूप में यूज करते हैं। दरअसल, जब बेल पर तोरई सूख जाती है, तो उसका छिलका हटाकर, अंदर के रेशों को लूफा की तरह यूज किया जाता है। यह प्लास्टिक वाले लूफा की जगह एक नेचुरल और पर्यावरण के लिए सही विकल्प है, क्योंकि ये आसानी से सड़-गलकर मिट्टी में मिल जाता है यानी बायोडिग्रेडेबल होता है।