धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पितरों के लिए श्रद्धा से किया गया मुक्ति कर्म श्राद्ध कहलाता है और उन्हें तृप्त करने की क्रिया को तर्पण कही जाती है, जबकि तर्पण करना ही पिंडदान करना है। वैसे तो साल में 96 दिन श्राद्ध के होते हैं, लेकिन पितृ पक्ष विशेष रूप से श्राद्ध के लिए महत्वपूर्ण होता है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।
Pitru Paksha Upay: डॉ. व्यास के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पक्ष में विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है। लेकिन श्राद्ध में श्रीमद्भागवत गीता के सातवें अध्याय का माहात्म्य पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए। इस पाठ का फल आत्मा को समर्पित करना चाहिए। इससे पितरों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Updated on:
26 Sept 2024 12:58 pm
Published on:
26 Sept 2024 11:03 am