ज्योतिषी अनीष व्यास के मुताबिक पितृ पक्ष के आखिरी दिन अश्विन अमावस्या पर सभी ऐसे पितृजनों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु अमावस्या या पूर्णिमा तिथि पर हुई हो या जिनके मृत्यु की तिथि हमें ज्ञात नहीं है। पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध इस दिन होने से ही आज के श्राद्ध को महालया श्राद्ध, महालय विसर्जनी, अमावस श्राद्ध या महालय अमावस्या श्राद्ध भी कहते हैं।
इसी कारण इस दिन को पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं। इस दिन पितरों के पूजन, ब्राह्मण भोजन और दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं। साथ ही जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं। इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं। इस दिन पितरों का श्राद्ध जरूर करना चाहिए।
पश्चिम बंगाल में महालय अमावस्या नवरात्रि उत्सव के आरंभ का प्रतीक है। देवी दुर्गा के भक्तों का मानना है कि इस दिन देवी दुर्गा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था।
अश्विन अमावस्या का आरंभः 01 अक्टूबर मंगलवार 2024 को रात 09:39 बजे
अश्विन अमावस्या का समापनः 03 अक्टूबर गुरुवार 2024 को रात 12:18 बजे
उदया तिथि में सर्व पितृ अमावस्याः 02 अक्टूबर बुधवार 2024
पितरों के श्राद्ध का समयः सुबह 11:36 बजे से 12:24 बजे तक
नोटः कुछ कैलेंडर में रौहिण मुहूर्त दोपहर 12:24 बजे से दोपहर 01:21 बजे और अपराह्न काल दोपहर 01:21 बजे से 03:43 बजे तक भी श्राद्ध की सलाह दी गई है।
अश्विन अमावस्या का श्राद्धकर्म के साथ-साथ तांत्रिक दृष्टिकोण से भी महत्व है। अश्विन अमावस्या की समाप्ति पर अगले दिन से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते हैं और मां दुर्गा के विभिन्न रूपों के आराधक और तांत्रिक इस अमावस्या की रात को विशिष्ट तांत्रिक साधनाएं करते हैं।
Updated on:
02 Oct 2024 01:41 pm
Published on:
01 Oct 2024 07:26 pm