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CG News: प्रदेश के इकलौते जैविक जिले दंतेवाड़ा के किसानों को क्षति, 4 से 5 क्विंटल तक घटी धान की पैदावार

CG News: दंतेवाड़ा जिले में बड़ी क्रांति के रूप में आगे बढ़ा और यहां ब्लॉक नहीं पूरा जिला ही जैविक घोषित हो गया। 13 साल पहले दंतेवाड़ा जिले को जैविक जिला घोषित किया गया।

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CG News: प्रदेश के इकलौते जैविक जिले दंतेवाड़ा के किसानों को क्षति, 4 से 5 क्विंटल तक घटी धान की पैदावार

CG News: @आकाश मिश्रा। राज्य सरकार ने साल 2010 में प्रदेशभर में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक मुहिम शुरू की। इसके तहत हर जिले के एक ब्लॉक को जैविक खेती के लिए सर्टिफाइड करना था। यह काम बस्तर के दंतेवाड़ा जिले में बड़ी क्रांति के रूप में आगे बढ़ा और यहां ब्लॉक नहीं पूरा जिला ही जैविक घोषित हो गया। 13 साल पहले दंतेवाड़ा जिले को जैविक जिला घोषित किया गया।

यह जिला प्रदेश का इकलौता जैविक जिला है। यहां के 110 गांव के 10 हजार 264 किसान जैविक खेती कर रहे हैं। 65 हजार हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है। इस मुहिम की शुरुआत के वक्त किसानों को जैसे लाभ की बात बताई गई थी वह लाभ किसानों को इतने सालों बाद भी नहीं मिल पाया है। यहां के किसान बड़े स्तर पर नुकसान झेलकर जैविक खेती कर रहे हैं।

जैविक खेती में प्रति एकड़ 4 से 5 क्विंटल तक धान की पैदावार घट गई है। इसके अलावा उन्हें कार्बन क्रेडिट भी नहीं दिया जा रहा है। सरकार ने करीब 7 साल पहले कहा था कि हम 10 हजार रुपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि देंगे पर यह राशि भी नहीं दी जा रही। किसानों को सिर्फ धान की खेती में 12 से 15 हजार तक का नुकसान प्रति एकड़ में हो रहा है।

जैविक और रासायनिक उपज को अलग नहीं कर रहे

जैविक खेती के इस पूरे सिस्टम की सबसे बड़ी नाकामी जैविक और रासायनिक धान की खरीदी या उठाव एक साथ करने की है। जैविक धान या अन्य फसल की क्वालिटी रासायनिक से बेहतर होती है, पर जैविक और रासायनिक धान को एक साथ मिलाकर उठाव किया जा रहा है। जैविक धान कहां जा रहा है, कहां बांटा जा रहा है। इसका कोई हिसाब जिम्मेदारों के पास है। हालांकि अब मौजूदा कलेक्टर इस सीजन से जैविक धान का उपयोग दंतेवाड़ा में ही करने की बात कह रहे हैं।

दंतेवाड़ा में एक भी रासायनिक दुकान नहीं

दंतेवाड़ा जैविक जिला बना यह बहुत बड़ी उपलब्धि है, लेकिन कब तक यह सवाल अब उठने लगे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस जिले के किसानों ने पूरी तरह से जैविक खेती को अपना लिया है, वहां उनकी उपज के लिए कोई प्रीमियम रेट या प्रोत्साहन राशि तय नहीं की गई है। एक्सपर्ट कहते हैं कि जैविक खेती पर्यावरण और मिट्टी के लिए दीर्घकालिक रूप से फायदेमंद है, लेकिन इसके शुरुआती वर्षों में उत्पादन कम होता है। अगर सरकार किसानों को प्रोत्साहित नहीं करेगी तो आगे इसे लेकर किसानों का उत्साह कम होना तय है।

कलेक्टर ने मौजूदा खरीफ सीजन से ही दंतेवाड़ा के जैविक धान का उपयोग जिले में ही करने के निर्देश दिए हैं। हम इस पर काम शुरू कर चुके हैं। पीडीएस के माध्यम से हम यहां पर यहां का चावल बांटेंगे। अब जैविक धान बाहर नहीं जाएगा। प्रीमियम रेट का प्रस्ताव शासन को भेजा है। -सूरज पंसारी, उप संचालक, कृषि दंतेवाड़ा

यह हो तो दंतेवाड़ा के किसानों का भला हो

जैविक धान के लिए अलग समर्थन मूल्य तय किया जाए।

जैविक उत्पादों के लिए अलग संग्रहण व विपणन चैनल बने।

सरकारी संस्थानों में जैविक चावल का उपयोग अनिवार्य किया जाए।

जिले में ही पीडीएस के माध्यम से इसका स्थानीय लोगों में वितरण हो।