
एक्सपोज- आरपीएफ ने रेलवे के सभी विभागों से ट्रैक के आसपास रखे मटेरियल सूची तैयार की, हटाने की कार्रवाई नहीं
दमोह. दमोह में एक साल में दो बड़ी रेल दुर्घटना सामने आ चुकी हैं, लेकिन अभी तक इनकी जांच रिपोर्ट रेलवे अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत नहीं की जा सकी है। ऐसे में रेल दुर्घटनाओं के कारण सामने नहीं आ सके हैं, लेकिन इन सब के बीच रेलवे ने रेलवे पटरियों के आसपास पड़ी लोहा, निर्माण सामग्री को हटाने के आदेश जारी किए हैं, जिससे स्पष्ट है कि कहीं न कहीं एक वजह रेल दुर्घटनाओं की यह भी मानी जा रही है। जिसमें लोग आसपास पड़ी सामग्री रेल पटरियों पर रखकर अलग-अलग प्रयोग करते हैं, इसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो चुके हैं।
आरपीएफ के एक पत्र ने रेलवे अधिकारियों की दौड़ें बढ़ा दी हैं। आरपीएफ ने पश्चिम मध्य रेल में बढ़ रही रेल दुर्घटनाओं के पीछे एक कारण पटरियों के पास पड़े होने वाले निर्माण मटेरियल, लोहा सहित अन्य कबाड़ को भी माना है। साथ ही इन्हें तत्काल हटवाने के लिए पत्रव्यवहार किया है। इसके बाद रेलवे की पेट्रोलिंग बढ़ गई है। साथ ही रेल पटरियों के आसपास रहने वाले लोगों को समझाइश भी दी जा रही हैं।
आरपीएफ की जांच में सामने आए हैं मामले
दरअसल, आरपीएफ ने अलग-अलग जगहों पर कराई गई जांच में कुछ फैक्ट सामने आए हैं, जिनमें ट्रेनों के परिचालन को प्रभावित करने के लिए पटरियों पर लोहे, तार, पत्थर या अन्य भारी सामान रखने के मामले सामने आ रहे हैं। रेलवे ट्रैक से लगातार छेड़छाड़ ने रेलवे की संरक्षा और सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच में सामान्य तौर पर एक बात सामने आई है कि पटरियों पर रखा जा रहा मटेरियल, दूर दराज का नहीं, बल्कि पटरियों के आसपास रखा रेलवे का ही मटेरियल है, जो अब पटरियों के लिए खतरा बन रहा है। इस मामले में पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर सहित पमरे के अन्य मंडल को आरपीएफ ने रेलवे के सभी विभागों से पटरियों के आसपास रखे मटेरियल की जानकारी मांगी गई थी, जिसकी सूची भी तैयार हो चुकी है, लेकिन ट्रैक के पास से मटेरियल हटाने का अभी तक नहीं हो सका है।
तीसरी लाइन के काम के दौरान जगह-जगह पड़ी है सामग्री
कटनी से बीना रेलवे ट्रैक पर इन दिनों तीसरी लाइन का काम चल रहा है। ऐसे में तीसरी लाइन काम के चलते व पहले से ही जगह-जगह तार, लोहा सहित अन्य सामग्री रेलवे ट्रैक के आसपास पड़ी हुई हैं। बता दें कि रेल लाइन बिछाने, मरम्मत, देखरेख का जिम्मा रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के पास है। पटरियों की मरम्मत का काम लगातार चलता है। इस वजह से रेल लाइन के दोनों ओर सबसे ज्यादा लोहा, पटरी, स्लीपर, बोल्डर समेत अन्य लौह सामग्री रखी जाती है। इन मटेरियल के रखरखाव और सुरक्षा की जिम्मेदारी इंजीनियरिंग विभाग के पीडब्ल्यूआइ की होती है, लेकिन यह सामान ट्रैक के आसपास रखे रखे कबाड़ में बदल जाता है। इन मटेरियल की मदद से पटरियों को नुकसान पहुंचाने वाले इन्हें रात के वक्त रेल लाइन में रख देते हैं, जो रेल हादसों की वजह बन रहा है।
१४ अगस्त और २० अप्रेल को हुए थे मालगाड़ी हादसे
दमोह में १४ अगस्त २०२४ को बड़ी रेल दुर्घटना सामने आई थी। जिसमें मालगाड़ी के ९ डिब्बे पटरी से उतरकर फिक गए थे। हादसा इतना भयानक था कि यदि यह यात्री ट्रेन में होता तो सैकड़ों यात्रियों की जान जाना आम होता। साल भर से अधिक समय बीतने के बाद भी इसकी जांच रिपोर्ट सामने नहीं आ सकी है।
२० अप्रेल २०२५ को दमोह रेलवे स्टेशन के होम सिग्नल के पास ही एक मालगाड़ी पार्सल ट्रेन के ४ डिब्बे पटरी से उतर गए। इस घटना में रेलवे पटरी और ट्रेन के साथ-साथ पोल, हाइटेंशन लाइन, सिंग्नल सहित अन्य नुकसान भी हुए है। इस पूरे घटनाक्रम का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। इसके कारण भी अभी तक सामने नहंी आ सके है।
-वर्शन
पेट्रोलिंग बढ़ाई जा रही है। पेट्रोलिंग के दौरान जो भी सामग्री रेलवे ट्रैक के आसपास मिल रही हैं, उन्हें टीम हटाकर गैराज में रखवाने की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही ग्रामीणों को रेलवे अपराध, उसके परिणामों व रेलवे की सहायता के संबंध में लगातार समझाइश दी जा रही हैं।
हर्षित श्रीवास्तव, सीपीआरओ पमरे
Published on:
04 Nov 2025 09:57 am
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