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जैसलमेर हादसे के बाद भी लापरवाही जारी, ड्राइवर-कंडक्टर बिना जांच के ले जा रहे पेट्रोल जैसी बोतलें और पटाखों के बॉक्स

टीम ने पेट्रोल जैसे तरल पदार्थ की बोतलें, पटाखों के प्रिंट वाला बॉक्स और रद्दी से भरा बॉक्स बसों में भिजवाने की कोशिश की और हैरानी की बात यह रही कि किसी ने कुछ नहीं पूछा। पैसे लिए और बस में रख दिया।

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फोटो: पत्रिका

जैसलमेर बस हादसे के बाद भी निजी व रोडवेज बसों के चालक-परिचालक यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। सौ-दो सौ रुपए लेकर चालक-परिचालक बिना जांच किए किसी भी तरह का पार्सल बसों में चढ़ा रहे हैं। पत्रिका टीम ने इस लापरवाही का खुलासा करने के लिए स्टिंग ऑपरेशन किया। जिसमें टीम ने पेट्रोल जैसे तरल पदार्थ की बोतलें, पटाखों के प्रिंट वाला बॉक्स और रद्दी से भरा बॉक्स बसों में भिजवाने की कोशिश की और हैरानी की बात यह रही कि किसी ने कुछ नहीं पूछा। पैसे लिए और बस में रख दिया।

पाबंद किया जाएगा

यदि रोडवेज बस में कोई पार्सल लेकर जा रहा है तो यह गलत है। इसके लिए बस चैकिंग के दौरान भी लगेज को चैक किया जाएगा।

अजय कुमार मीणा, चीफ मैनेजर, कोटा डिपो

लगातार चैकिंग कर रहे

हम नियमित बसों की चैकिंग कर रहे हैं। इसमें चालान बनाए जा रहे हैं। इसके बाद भी यदि कोई नहीं मान रहा है तो उसकी आरसी निलंबित करने की कार्रवाई की जाएगी।

मनीष शर्मा, आरटीओ, कोटा

बिना जांच के पेट्रोल जैसी बोतल बस में रख दी

यह बस कोटा से पिडावा जाने के लिए एरोड्राम सर्कल पर खड़ी थी। पत्रिका टीम ने तरल पदार्थ से भरी दो बोतलें जो दिखने में पेट्रोल जैसी लग रही थी चालक को दी और कहा कि इन्हें पिडावा भिजवाना है। बिना किसी सवाल या जांच के चालक ने बोतलें रख ली और 100 रुपए मांग लिए। इसके बाद बस रवाना हो गई।

ई बस में भी सुरक्षा दरकिनार

कोटा से जयपुर जाने वाली इस ई बस में पत्रिका टीम ने रद्दी से भरा बॉक्स दिया। परिचालक ने बिना किसी पूछताछ के बॉक्स को लगेज सेक्शन में रख लिया। टीम ने पैसे रात में बॉक्स लेने आने वाले से लेने के लिए कहा। उसने इसके लिए 200 रुपए मांगे और बस को रवाना कर दिया।

पटाखों के बॉक्स पर भी नहीं हुई कोई जांच-पड़ताल

राजस्थान रोडवेज के अजयमेरू डिपो की यह बस कोटा नयापुरा बस स्टैंड से रवाना होकर नयापुरा चौराहे पर पहुंची। पत्रिका टीम ने पटाखों के प्रिंट वाला एक बॉक्स, जिसमें केवल कचरा भरा था, चालक को सौंपा। उसने परिचालक को दे दिया। परिचालक ने भी बिना खोले या पूछे, बॉक्स को लगेज सेक्शन में रख लिया और 200 रुपए मांगे। किसी को यह जानने की फिक्र नहीं थी कि पटाखों के बॉक्स में क्या है?