Churu News : चौधरी कुभाराम आर्य साहवा लिट नहर के सिंचित क्षेत्र के गांव रैवासी के प्रगतिशील किसान ने गत आठ सालों से मूंगफली फसल की अधिकाधिक बुआई का लक्ष्य तय कर मूंगफली को कमाई का जरिया बनाया है। जिससे प्रेरणा लेकर अब रेवासी सहित आसपास के किसानों का मूंगफली की खेती की ओर रुझान बढ़ रहा है। गांव भांमरा की रोही में तारानगर- रावतसर नहर सड़क किनारे स्थित अपने खेत में मूंगफली की फसल में नीनाण निकाल रहे किसान देवीलाल सूंडा ने बताया कि नहर के पानी से सिंचाई करने वाले इस क्षेत्र में पहले खरीफ में मूंगफली की खेती नहीं किया करते थे। खरीफ में बाजरा, मूंग-मोठ व ग्वार आदि की परंपरागत खेती की जाती थी, लेकिन बीते कुछ वर्षों पहले उन्होंने खरीफ की फसल में नवाचार करते हुए मूंगफली की बिजाई की। पहला साल था इतना ज्ञान भी नहीं था इसलिए मूंगफली की खेती को जाना और तौर तरीके समझे और दूसरी साल उन्होंने मूंगफली की अच्छी फसल ली।
किसानों का बढ़ रहा है रुझान
सूंडा कहते हैं कि अब धीरे धीरे मूंगफली की खेती की ओर रुझान बढ़ा है। नहर में सिंचाई के लिए पूरा पानी मिलता रहने व समय पर बरसात हो जाने से मूंगफली की पैदावार भी कुल मिलाकर अच्छी हो जाती है। उन्होंने बताया कि यहां की रेतीली जमीन को रबी फसल में चना व खरीफ में मूंगफली की पैदावार अच्छी होने की संभावना को ध्यान में रख कर वे गत 8 साल से विशेषकर इन्हीं की बुआई कर रहे हैँ।
पलट सकती है काया
प्रगतिशील किसान कहते हैँ समय पर नहरी पानी मिल जाए और अंतराल में बारिश हो जाए तो खरीफ फसल में मूंगफली की खेती किसान की काया पलट सकती है। उन्होंने बताया कि उनके यहां अच्छी पैदावार हो रही है, इस बार भी मूंगफली की बुवाई की है बारिश और नहरी पानी समय से मिलता रहा तो मूंगफली की खेती अच्छी होने की संभावना हैं।
एक बीघा में 8-10 क्विंटल मूंगफली
किसान सुंडा ने कहा कि सिंचाई के लिए पूरा पानी मिलता रहे तो एक बीघा जमीन में 8 से 10 किंवटल मूंगफली हो जासाहवाती हैं। इसकी खेती के दौरान एक बीघा पर बीज, खाद, कीटनाशक दवाएं, सिंचाई के लिए बिजली, डीजल आदि के साथ बुआई, कटाई आदि में करीब 18 से 20 हजार रूपए खर्च हो जाते हैं।
मूंगफली से अच्छी बचत
किसान ने बताया कि गत वर्ष फसल कटाई के समय के अनुसार मूंगफली का औसत 5500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव मिल जाने पर 50 हजार रुपए प्रति बीघा के करीब पैदावार हई। इससे करीब 30 हजार रुपए बीघा की बचत हो जाती है लेकिन अथाह मेहनत करनी पड़ती है। परिवार को मिलजुलकर खेती का काम रहे तो ही बचत होती है नहीं तो खेती महंगी पड़ती है। उन्होंने बताया कि हर साल 15 से 20 बीघा जमीन में मूंगफली की बुआई कर रहे हैं, जिससे सभी खर्चे काट कर ठीक बचत हो जाती है। वर्तमान में मूंगफली की खेती फायदे का सौदा है।
कपास से टूटी आस
किसान सूंडा ने बताया कि पिछली साल उन्होंने 3-4 बीघा जमीन पर कपास की खेती की। कपास की खेती करके देखी। जिसकी बुआई से लेकर चुगाई तक के खर्चों से तंग आ गए। ऊपर से कपास में लगने वाली गुलाबी सूंडी आदि के प्रकोप से होनेवाली परेशानी अलग। इसलिए इस साल कपास की बुआई बिलकुल ही नहीं की है
Published on:
29 Jul 2024 02:46 pm