नाइजर के सहारा रेगिस्तान में मिली मंगल ग्रह की विशाल चट्टान। (फोटो: AUC3I)
Martian Meteorite Sale Investigation: नाइजर के सहारा रेगिस्तान में मिली मंगल ग्रह की विशाल चट्टान (Martian meteorite), जिसे नाम मिला है NWA 16788, ने न्यूयॉर्क में सॉथबीज़ नीलामी(Sotheby’s auction) में करीब 44 करोड़ 20 लाख 50 हजार रुपये में रिकॉर्ड कीमत दर्ज की। यह अब तक पृथ्वी पर पाया गया सबसे बड़ा मंगल उल्कापिंड है। इस उल्कापिंड का वैज्ञानिक नाम NWA 16788 बताया गया है, यह सहारा रेगिस्तान में खोजा गया। इसे नवंबर 2023 में एक खोजकर्ता ने पाया था। सांस्कृतिक विरासत की इस चट्टान (Cultural heritage rock) ने मंगल से होकर 22 करोड़ 50 लाख किलोमीटर की यात्रा की और यह पृथ्वी पर गिरा। माना जा रहा है कि यह दुर्लभ मंगल ग्रह की चट्टान अवैध रूप से देश से बाहर तस्करी करके बेची गई है।
नीलामी से पहले यह उल्कापिंड एक अंतरराष्ट्रीय डीलर को बेचा गया, फिर इटली के एक निजी गैलरी में रखा गया। फ्लोरेंस विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक टीम ने चट्टान की जांच की, और इसे जल्द ही न्यू यॉर्क में नीलामी में पेश किया गया था। लेकिन नाइजर सरकार ने इसे "अवैध अंतरराष्ट्रीय तस्करी"(Illegal meteorite sale) बताया और उसकी बिक्री पर सवाल खड़े किए। रिज़र्व ने बिक्री से कुछ समय पहले "कीमती पत्थरों और उल्कापिंडों" के निर्यात पर रोक लगा दी ताकि उनकी ट्रैसिंग सुनिश्चित हो सके।
राष्ट्रपति अब्दुर्रहमान तियानी ने देश भर में उल्कापिंड और कीमती पत्थरों के निर्यात पर फिलहाल रोक लगा दी है, ताकि उनकी पूरी जानकारी और ट्रैक रखी जा सके। सरकार ने स्पष्ट किया है कि वे जानना चाहते हैं कि यह चट्टान किसने खोजी, किस माध्यम से बाहर पहुंची, और क्या नीतिगत उल्लंघन हुआ या नहीं।
UNESCO की सांस्कृतिक संपदा संधि के तहत, दुर्लभ खनिज और उल्कापिंड सांस्कृतिक संपत्ति माना जा सकता है। लेकिन इसे लागू करने के लिए नाइजर को साबित करना होगा कि वह इसका वैध मालिक है और यह चोरी से बाहर गया था। यदि यह शांतिपूर्वक घोषित रूप से अमेरिका में आयात हुआ था, तो इसे वापस पाना मुश्किल हो सकता है।
वास्तव में यह विवाद विस्तार से यह दर्शाता है कि कैसे दुर्लभ प्राकृतिक सामग्री की सुरक्षा और देश की सांस्कृतिक विरासत के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सवाल उठ रहे हैं। नाइजर जैसे देश, जिनकी वैज्ञानिक और प्राकृतिक संपदा महत्वपूर्ण है, उसे लंबे समय तक सुरक्षित रखने की चुनौती अब और गंभीर हो गई है
बहरहाल वैश्विक स्तर पर दुर्लभ प्राकृतिक विरासत की रक्षा एक चुनौती बन चुकी है। नाइजर जैसे देशों के लिए उल्कापिंड जैविक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद मूल्यवान हैं। इस मामले ने प्राकृतिक विरासत की सुरक्षा और आधिकारिक स्वामित्व के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को उजागर किया है।
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Published on:
12 Aug 2025 07:12 pm
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