आरबीआई ईपीएफओ की निगरानी कर सकता है।
भारत के सोशल सिक्योरिटी सिस्टम के दो प्रमुख संस्थान कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और पोस्ट ऑफिस सेविंग बैंक (POSB) जल्द ही आरबीआई की निगरानी में आ सकते हैं। सरकार ने इन दोनों संस्थानों के लिए आरबीआई से निगरानी और तकनीकी मार्गदर्शन की मांग की है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है।
डाक विभाग के मामले में यह कदम उस 96 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद उठाया गया है, जो मई 2024 तक की 24 महीनों की अवधि में POSB स्कीम्स में फर्जी लेनदेन के जरिए हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, डाक विभाग ने वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग से संपर्क किया है और आरबीआई के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) साइन करने का प्रस्ताव रखा है, ताकि आंतरिक नियंत्रण प्रणाली की समीक्षा की जा सके।
ईपीएफओ के मामले में श्रम और रोजगार मंत्रालय ने फरवरी में RBI को एक पत्र लिखा था, जिसमें फंड प्रबंधन और निवेश प्रक्रियाओं पर सलाह मांगी गई थी। इसके बाद आरबीआई की रिपोर्ट में कई कमियां उजागर की गईं। इनमें कमजोर अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स और हितों के टकराव शामिल हैं, जो ईपीएफओ के दोहरे भूमिका में (रेगुलेटर और फंड मैनेजर) होने के चलते है।
इसके बाद EPFO बोर्ड ने आरबीआई, वित्त मंत्रालय और श्रम मंत्रालय के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक संयुक्त समिति बनाने की मंजूरी दे दी है, ताकि इन चिंताओं को दूर किया जा सके।
डाक विभाग के बचत बैंक संचालन की ऑडिट समीक्षा में 14 डाक सर्किलों में 60 गबन के मामले पाए गए हैं। ये अनियमितताएं मुख्य रूप से संचय पोस्ट डेटाबेस में मैन्युअल छेड़छाड़ के कारण हुईं। रिपोर्ट में बताया गया कि कुल 985 अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है।
ईपीएफओ और पीओएसबी आम जनता की भारी-भरकम रकम को इन्वेस्ट करते हैं। ईपीएफओ 30 करोड़ मेंबर्स के करीब 26 लाख करोड़ रुपये के फंड को मैनेज करता है। जबकि पीओएसबी के पास 29 करोड़ अकाउंट्स में 12.56 लाख करोड़ रुपये की जमा है।
आरबीआई ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि EPFO को अपने नियामक और फंड मैनेजर की भूमिकाएं अलग करनी चाहिए। मार्क-टू-मार्केट अकाउंटिंग प्रणाली अपनानी चाहिए, ताकि निवेशों का वास्तविक मूल्यांकन हो सके। साथ ही लायबिलिटीज का एक एक्चुअरियल रिव्यू करना चाहिए। इन्वेस्टमेंट में डायवर्सिफिकेशन लाना चाहिए, जिसमें इक्विटी में हिस्सेदारी बढ़ाना शामिल हो, रिटर्न बेहतर हो सके। वर्तमान में, EPFO अपने फंड का 45 से 65% सरकारी प्रतिभूतियों में, 20 से 45% कॉरपोरेट डेट में और नए निवेशों का अधिकतम 15% इक्विटी में निवेश करता है।
Published on:
15 Oct 2025 05:40 pm
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