प्रतीकात्मक तस्वीर: पत्रिका
मध्यप्रदेश के किसानों का रुझान अब राजस्थान की मंडियों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। उत्पादन की अधिकता, खरीदारों की कमी और स्थानीय मंडियों में सुविधाओं की कमी के चलते एमपी के किसान बूंदी की कुंवारती कृषि उपज मंडी में धान बेचने आ रहे हैं।
यहां उन्हें न केवल बेहतर दाम मिल रहे हैं बल्कि एक ही दिन में नीलामी, तुलाई और भुगतान की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। यहां मध्यप्रदेश की मंडियों से लगभग 60 से 150 रुपए प्रति क्विंटल का फायदा होता है। एमपी में धान बेचने में उन्हें 3 से 5 दिन तक का समय लग जाता है। मध्यप्रदेश के किसानों की माने तो वहां पर धान उत्पादन की तुलना में खरीदार व मंडिया कम होने के चलते किसान कोटा व बूंदी की मंडियों में अपना माल बेचने के लिए लाते हैं।
मध्यप्रदेश के भोपाल एक बड़ी चावल मिल है। वहां पर बूंदी व कोटा की मिलों की तुलना में कई गुना चावल बनाने का कार्य होता है, लेकिन वहां पर होने वाले उत्पादन की तुलना में संपूर्ण माल की खरीद मध्यप्रदेश में नहीं होने के चलते किसानों को प्रदेश की मंडियों जैसी सुविधा नहीं मिलती है। यहां बिकने आने वाले धान से मंडी को भी राजस्व का फायदा हो रहा है। इसके साथ ही वहां के किसानों को भी सुविधा मिल रही है।
मध्यप्रदेश में भोपाल, इटारसी, शिवपुरी, ग्वालियर, अशोक नगर सहित अन्य मंडियां व गौण मंडियां है। वहां की मंडियों में किसान माल बेचने जाने के बाद उन्हें 3 से 5 दिन तक का समय लग जाता है। वहीं वहां पर ट्रैक्टर-ट्रॉली में ही धान की नीलामी का कार्य होता है। यहां उन्हें माल खाली करने से लेकर तुलाई व भुगतान को लेकर कोई परेशानी नहीं होती।
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के अशोक नगर, भोपाल, शिवपुरी, इटारसी, ग्वालियर सहित अन्य कई जगह से कृषि उपज मंडी में धान बिकने के लिए आते हैं।
बूंदी मंडी के सचिव के अनुसार गत वितीय वर्ष में मध्यप्रदेश के किसानों का 36 लाख क्विंटल धान बिकने आया। जिससे मंडी को 15 करोड़ रुपए राजस्व मिला।
कुंवारती कृषि उपज मंडी में कई वर्षों से मध्यप्रदेश के किसान माल बेचने आ रहे हैं। माल बेचने आने वाले किसानों को सही समय पर माल का सही दाम मिलने व तुलाई होने व भुगतान होने से राहत मिलती है। ऐसे में वहां के अन्य किसान भी यहां पर लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
दीपक गौतम, आढ़तिया, कुंवारती, कृषि उपज मंडी, बूंदी
मंडी में माल बिकने के बाद किसानों को भुगतान व तुलाई वह नीलामी को लेकर कोई परेशानी नहीं रहती। इसलिए यहां पर मध्यप्रदेश के किसानों का लगातार रुझान बढ़ता जा रहा है।
-सुनील श्रृंगी, सचिव, आढ़तियां संघ, कृषि उपज मंडी कुंवारती, बूंदी
Updated on:
15 Oct 2025 03:28 pm
Published on:
15 Oct 2025 03:25 pm
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