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नक्सली नेता रामचंद्र रेड्डी की मुठभेड़ में मौत, हाईकोर्ट ने खारिज कर दी SIT जांच की मांग वाली याचिका, जानें क्या कहा?

High Court: हाईकोर्ट ने पुलिस मुठभेड़ में नक्सलियों की मौत की एसआईटी गठित कर कोर्ट की निगरानी में जांच कराने प्रस्तुत याचिका को खारिज किया है।

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CG High Court: नान घोटाले में सीबीआई जांच की याचिकाएं निराकृत, न्यायालय में किया जा सकेगा आवेदन

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Photo Patrika)

Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने पुलिस मुठभेड़ में नक्सलियों की मौत की एसआईटी गठित कर कोर्ट की निगरानी में जांच कराने प्रस्तुत याचिका को खारिज किया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य एवं केन्द्र द्वारा नियमित नक्सल विरोधी अभियान चलाया जा रहा है। याचिका सिर्फ आशंका पर दायर की गई है। इसमें कोई ठोस साक्ष्य नहीं है। एसआईटी जांच का आदेश देने से पुलिसिंग शक्तियों का संघीय ढांचा कमजोर होगा।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस बीडी गुरू की डिवीजन बेंच ने यह आदेश दिया। 22 सितंबर 2025 को अबुझमाड़ के जंगल में सुरक्षा बल एवं नक्सलियों के मध्य मुठभेड़ में नक्सली नेता रामचंद्र रेड्डी उर्फ राजू दादा एवं कादरी सत्यनारायण रेड्डी उर्फ कोसा दादा की मौत हुई थी। मौके से दो पुरुषों के शव एवं मौके से एके 47, इंनसास रायफल, नक्सली साहित्य एवं अन्य विस्फोटक जब्त किए गए।

मारे गए दोनों नक्सली अपने संगठन के टॉप लीडर थे। रामचंद्र के पुत्र राजा ने मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की गई, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के बाहर के पुलिस अधिकारी शामिल हों। जांच की निगरानी न्यायालय से कराने और याचिकाकर्ता को मुआवजा दिलाने की मांग की गई।

कानून व्यवस्था बनाए रखने अभियान चलाना सुरक्षाबलों का अधिकार

कोर्ट ने माना कि नक्सल-विरोधी अभियान, राज्य या केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा किए जाने वाले नियमित उग्रवाद-रोधी उपायों का हिस्सा होने के नाते, विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच के अधीन नहीं हो सकते। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाकर्मियों द्वारा कानून-व्यवस्था बनाए रखने और उग्रवाद का मुकाबला करने के उद्देश्य से किए जाने वाले नियमित अभियान राज्य पुलिस बलों और केंद्रीय अर्धसैनिक एजेंसियों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।

जो वैध प्राधिकार के तहत काम करते हैं। ऐसे नियमित क्षेत्रीय अभियानों की एसआईटी द्बारा जांच का निर्देश देने से न केवल पुलिसिग शक्तियों का संघीय ढांचा कमजोर होगा, बल्कि स्थापित मानदंडों के साथ असंगत एक मिसाल भी स्थापित होगी।

हत्या कर मुठभेड़ की झूठी कहानी बनाने का आरोप

याचिका में कहा गया कि दोनों व्यक्ति माओवादियों की केंद्रीय समिति के सदस्य बताए गए हैं और इन पर 40 लाख रुपये का इनाम घोषित है। याचिकाकर्ता को उपरोक्त तथ्यों की जानकारी मीडिया रिपोर्टों और अपने सूत्रों से मिली। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि कट्टा रामचंद्र रेड्डी को पुलिस ने निर्मम तरीके से मार डाला और बाद में मुठभेड़ की झूठी कहानी गढ़ी। यह आशंका इस तथ्य से उत्पन्न होती है कि दोनों पक्षों में सैकड़ों की संया में लोग थे और मुठभेड़ के बाद केवल दो लोगों की मौत हुई।

कोर्ट ने कहा- मृतक के खिलाफ कई गंभीर अपराध दर्ज

सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि मृतक आदतन अपराधी था। उसके खिलाफ बस्तर के विभिन्न थानों में 29, महाराष्ट्र में 6 एवं तेलंगाना में 2 गंभीर अपराध दर्ज है। वह वर्ष 2007 में ही अपना घर छोड़ चुका था। न तो याचिकाकर्ता और न ही उसकी मां को उसके ठिकाने के बारे में पता था। उन्हें मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से ही पता चला जब शव मिला। इसलिए यह माना जा सकता है कि मृतक नक्सली गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल था और जंगली क्षेत्रों में काम कर रहा था।