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Video: हर आंख नम, दिलों में मौजूद रहेंगे…आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

मंदिरों में णमोकार मंत्र पाठ, चौक जिनालय में अंतिम दर्शन का प्रसारण

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हर आंख नम, दिलों में मौजूद रहेंगे...आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

हर आंख नम, दिलों में मौजूद रहेंगे...आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

भोपाल. जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधिमरण के बाद शहर में शोक की लहर है। सुबह जैसे ही लोगों को यह दुखद समाचार मिला श्रद्धालुओं की आंखे नम हो गईं। समाचार मिलने के बाद भोपाल से 200 से श्रद्धालु अंतिम दर्शन के लिए मध्यरात्रि के बाद ही डोंगरगढ़ रवाना हो गए थे और अंतिम यात्रा में शामिल हुए। रविवार को जैन समाज के व्यवसायियों ने अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान, संस्थान बंद रखे। शहर के जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं ने णमोकार मंत्र पाठ किया और नम आंखों से आचार्यश्री को भावांजलि अर्पित की। भोपाल में चातुर्मास कर रहे जैन मुनियों ने भी आचार्यश्री के समाधिमरण पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस दुखद खबर के बाद शहर में शोक की लहर छा गई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री को विनयांजलि दी। शहर के चौक जैन मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। यहां णमोकार मंत्र का पाठ किया गया और आचार्यश्री के चित्र के समक्ष दीप जलाकर विनयांजलि अर्पित की। इस मौके पर यहां एलईडी स्क्रीन लगाई गई और अंतिम दर्शन का प्रसारण किया गया, जिसे देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। पंचायत कमेटी ट्रस्ट के मनोज आरएम कहा कि आचार्यश्री न केवल जैन समाज बल्कि जन-जन के संत थे, हमारे बीच से उनका जाना अपूरणीय क्षति है। उनके समाधिमरण से एक युग का अंत हो गया है।
भोपाल में तीन बार हो चुका था आगमन
आचार्यश्री का भोपाल में आगमन तीन बार हुआ है। इसमें सबसे पहले आचार्यश्री का आगमन 2002 में अप्रेल माह में हुआ था। उस समय महावीर जयंती महोत्सव का आयोजन आचार्यश्री के सान्निध्य में हुआ था। जनवरी 2003 में आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर चौक की चौबीसी स्थापना, दो जिनालयों की वेदी प्रतिष्ठा, कलशारोहण और पंचकल्याणक महोत्सव में भी आचार्यश्री का आगमन हुआ था। इसी प्रकार 2016 में हबीबगंज जैन मंदिर में चातुर्मास आचार्यश्री और संघ में शामिल 40 मुनियों के सान्निध्य में हुआ था। उस वक्त आचार्यश्री का आगमन 18 जुलाई 2016 को हुआ था और विहार 30 नवम्बर 2016 को हुआ था। ४ माह से अधिक समय तक आचार्यश्री का यहां प्रवास था। चातुर्मास के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भी हबीबगंज जैन मंदिर में आचार्यश्री के दर्शन किए थे।
आचार्य श्री चाहते थे विश्व प्रसिद्ध हो बड़ेबाबा मंदिर
आचार्य विद्यासागर के निर्देशन में दमोह जिले में स्थित कुंडलपुर सिद्ध तीर्थक्षेत्र में भव्य मंदिर आकार ले चुका हैं, जिसमें कुछ ऐसे काम किए जा रहे हैं, जिनकी चर्चा युगों-युगों तक होगी। भगवान महावीर की विचारधारा के तहत हुए इस काम से जिनागम को भविष्य में दिखाने की परिकल्पना की जा रही हैं। यहां बड़ेबाबा (तीर्थंकर ऋषभनाथ) व अन्य तीर्थंकरों के दर्शन के साथ-साथ कलाकृतियों के माध्यम से कुछ ऐसा देखने मिलेगा, जिसके माध्यम से सदियों पुराने जिनागम से जुडक़र भविष्य को भी युवा पीढ़ी देख और समझ पाएगी। इसका 80 प्रतिशत काम हो गया हैं, जबकि 20 प्रतिशत प्रगति पर हैं। भगवान महावीर के मार्ग प्रशस्त कर रहे आचार्य विद्यासागर की इस परिकल्पना के बाद लोग गुरुवर को अब भगवन का स्वरूप मानते है। जो कुंडलपुर ही नहीं बल्कि अमरकंटक सहित देश में अनेक जगहों पर जैन धर्म को उस सांचे में ढालने में जुटे हैं, जिसकी छब भविष्य में देखने मिलेगी। यही गुरुदेव का सपना भी रहा। आचार्यश्री बड़ेबाबा को बड़े मंदिर में विराजित कराना चाहते है।
हर बीम पर देखने मिलेगा आचार्यों का इतिहास
कुंडलपुर में बड़ेबाबा के विशाल और मंदिर को देखने देश के साथ विदेश से भी लोग पहुंचते हैं। जबकि अभी मंदिर का काम पूरा नहीं हुआ हैं। मंदिर में 108 मुख्य बीम तैयार हुई हैं, जिनमें जैन धर्म को अंतिम तीर्थंकर महावीर के काल से अब तक लोगों के बीच जीवित रखने वाले आचार्य, मुनियों का वर्णन होगा। उनके प्रमुख कार्यों को भी इसमें उल्लेखित किया जाएगा। सभी मुख्य बीम पर आचार्यों का अनसुना इतिहास पढऩे और देखने मिलेगा।