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समाज में घटती संवेदनाओं को जगाने के लिए पत्रिका जैसे सेतु की जरूरतः मेघवाल

पत्रिका की-नोटः मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का संबोधन, पत्रिका के सामाजिक सरोकारों की सराहना

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MP news patrika keynote

MP news patrika keynote: लोकतंत्र और मीडिया विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अर्जुन राम मेघवाल।

Patrika Keynote 2025 in Bhopal: समाज में आजकल संवेदनाएं कम हो रही हैं, ऐसे में इन्हें जगाने और समाज को सही दिशा देने के लिए पत्रिका जैसे सेतु की आवश्यकता है। हमारे पास बॉडी, माइंड, इंटेलेक्ट और सॉल तो हैं, लेकिन समय के साथ इन पर एश जम जाती है, जो केवल गुलाब कोठारी जैसे विचारकों को सुनने से ही हटती है। इसके बाद ही व्यक्ति स्वयं को समझने की शुरुआत करता है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को भोपाल में लोकतंत्र और मीडिया विषय पर पत्रिका समूह द्वारा आयोजित की-नोट कार्यक्रम में यह विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी भी उपस्थित रहे।

1956 में मात्र 500 रुपए से हुई राजस्थान पत्रिका की शुरुआत की

MP news: मेघवाल ने कहा कि पत्रिका समूह के संस्थापक कर्पूरचंद्र कुलिशजी ने वर्ष 1956 में मात्र 500 रुपए से राजस्थान पत्रिका की शुरुआत की थी। जब देश में इमरजेंसी लगी, तब वे गांव-गांव जाकर लोगों के बीच संवाद स्थापित करने लगे। आज उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए गुलाबजी चुनाव के समय जागो जनमत अभियान के तहत विभिन्न क्षेत्रों में जाकर जनता की नब्ज टटोलते हैं। उन्होंने कहा कि कुलिशजी ने आओ गांव चलें अभियान की शुरुआत की थी, जिसमें पत्रिका गांवों के विकास का सेतु बना। इसी तरह चुनाव के दौरान पत्रिका ने जनता से सीधे संवाद स्थापित कर उम्मीदवारों के घोषणापत्र बनवाने का कार्य किया। मेघवाल ने कहा कि पत्रिका आज भी समाज में जागरूकता और संवेदना का सेतु बनकर अपनी भूमिका निभा रहा है।

चौथा स्तम्भ नहीं, सेतु ही सही शब्द

केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने आयोजन में पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी के उद्बोधन का जिक्र करते हुए कहा कि हम अब तक मीडिया को चौथा स्तंभ कहते आए हैं। कोठारी ने मीडिया के चौथा स्तंभ बने के खतरे से हमें परिचित करवाया। उनकी बात सुनकर यह बिल्कुल सत्य प्रतीत होता है कि मीडिया को चौथा स्तंभ नहीं, तीन स्तंभों (कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका) के बीच सेतु के रूप में कार्य करना चाहिए। ऐसे में यही सही शब्द है।

शिक्षा ने हमें अपनी आत्मा से दूर किया- कोठारी

पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नहीं, बल्कि तीनों स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तथा जनता के बीच का सेतु है। उन्होंने कहा कि यदि कोई पत्रकार यह कहता है कि मैं चौथा स्तंभ हूं, तो इसका अर्थ यही है कि वह सरकार के साथ मिल गया है और जनता का साथ छोड़ दिया है। कोठारी ने कहा कि आज की शिक्षा व्यवस्था का एकमात्र उद्देश्य कॅरियर बन गया है। हर व्यक्ति सिर्फ कॅरियर की चिंता में पढ़ाई कर रहा है, जबकि शिक्षा का मूल उद्देश्य आत्मा और व्यक्तित्व का विकास होना चाहिए।

शिक्षा ने हमें आत्मा से दूर कर दिया

शिक्षा ने हमें अपनी आत्मा से दूर कर दिया है। युवाओं को ध्यान रखना चाहिए कि कॅरियर की दौड़ में कहीं वे अपना व्यक्तित्व न खो दें, क्योंकि अच्छे कॅरियर का उद्देश्य ही श्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण है। उन्होंने कहा कि पत्रिका ही एक ऐसा अखबार है जो पत्रकारिता के साथ-साथ भारतीय संस्कृति को पूरे 12 महीने जीवित रखता है और घर-घर तक पहुंचाता है।

मीडिया युवाओं को शोर नहीं, स्पष्ट दिशा दे- विनोद अग्रवाल

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उद्योगपति और वरिष्ठ समाजसेवी विनोद अग्रवाल ने कहा कि भारत आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, जिसमें हमारे 65 प्रतिशत युवा सबसे बड़ी ताकत हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के सभी अंग विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और विशेष रूप से मीडिया अगर मिलकर नीतियां और मार्गदर्शक सिद्धांत तय करें, तो युवाओं को लक्ष्य, व्यवहारिकता और नैतिक शिक्षा प्राप्त होगी। आज जरूरत है कि मीडिया युवाओं को शोर नहीं सुनाए, बल्कि उन्हें स्पष्ट दिशा दिखाए।