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एमपी में फिर फैला खतरनाक वायरस, सरकार ने सात जिलों के लिए जारी की एडवाइजरी

Lumpi Virus - मध्यप्रदेश में एक बार फिर खतरनाक लंपी वायरस फैल रहा है। प्रदेश के कई जिलों में अनेक पशु इसकी चपेट में आ चुके हैं।

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MP Government Issues Advisory for Seven Districts on Lumpi Virus

एमपी सरकार ने लंपी वायरस पर सात जिलों के लिए जारी की एडवाइजरी- file pic

Lumpi Virus - मध्यप्रदेश में एक बार फिर खतरनाक लंपी वायरस फैल रहा है। प्रदेश के कई जिलों में अनेक पशु इसकी चपेट में आ चुके हैं। वायरस का खतरा बढ़ते ही सरकार सजग हुई है। इससे प्रभावित सभी जिलों में बीमार पशुओं को अलग रखने और टीका लगाने की कवायद की जा रही है। लंपी स्किन डिसीज़ से बचाव और रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। विभाग ने पशुओं के स्थान की सफाई रखने और उनके शरीर पर किल्ली, मक्खी, मच्छर आदि परजीवियों को नियंत्रित करने के उपाय करने की समझाइश भी दी है। इसके साथ ही पशुपालन विभाग ने राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम बनाया है। यहां लंपी रोग के संबंध में सभी संभव सहायता दी जा रही है।

पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्रदेश के झाबुआ, रतलाम, बैतूल, बड़वानी, सिवनी, सागर एवं भोपाल जिलों से पशुओं में लंपी स्किन डिसीज़ की जानकारी मिली है। इसके बाद विभाग ने लंपी वायरस से बचाव और रोगग्रस्त पशुओं के उपचार के संबंध में एडवाइजरी जारी की।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संचालक डॉ. पीएस पटेल ने रोग से बचाव के लिए पशुओं को प्रतिबंधात्मक टीका लगवाने को कहा है। उन्होंने बताया कि पशुओं में लंपी स्किन डिसीज के लक्षण दिखाई देते ही पशुपालकों को उनका उपचार करवाना चाहिए।

डॉ. पीएस पटेल के मुताबिक पशुपालन विभाग द्वारा लंपी वायरस से निपटने के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। संक्रमण से बचाव के लिए टीकों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, मुफ्त टीकाकरण किया जा रहा है और पशु पालकों को रोग से बचाव के लिए आवश्यक परामर्श दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा अप्रेल 2025 से कुल 41.5 लाख पशुओं को एलएसडी रोग प्रतिबंधात्मक टीका लगवाया जा चुका है। मुफ्त टीकाकरण कार्य अभी भी जारी है।

लंपी स्किन डिसीज़ के मुख्य लक्षण

लंपी, पशुओं में होने वाली एक वायरस जनित बीमारी है जोकि बेहद संक्रामक होती है। यह बीमारी मुख्यतः गो-वंशीय पशुओं में बारिश के दिनों में फैलती है। रोग की शुरूआत में दो से तीन दिन के लिए हल्का बुखार रहता है, उसके बाद पूरे शरीर की चमड़ी में गठानें निकल आती हैं। ये गठानें गोल उभरी हुई आकृति की होती हैं। इस बीमारी के लक्षण मुंह, गले, श्वास नली तक फैल जाते हैं। प्रभावित पशुुओं के पैरो में सूजन आ जाती है, दूध कम आने लगता है। पशुओं को गर्भपात, बांझपन होता है और कभी-कभी उनकी मृत्यु भी हो जाती है।

लंपी रोग मच्छर, काटने वाली मक्खी और किल्ली आदि से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलता है। अधिकतर संक्रमित पशु 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाते है, पर दूध की उत्पादकता में कमी कुछ समय बनी रह सकती है।

राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम बनाया

पशुपालन विभाग ने लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम और निगरानी के लिए भोपाल में राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम की स्थापना की है। इसका दूरभाष नंबर – 0755-2767583 है। कोई भी पशुपालक इस नंबर पर संपर्क कर विशेषज्ञों से सहायता प्राप्त कर सकता है।

ऐसे करें बचाव
लक्षण नजर आते ही निकटतम पशु औषधालय या पशु चिकित्सालय से संपर्क कर बीमार पशुओं का उपचार कराएं।

स्वस्थ पशुओं को बीमार पशुओं से अलग रखें।

स्वस्थ पशुओं को टीका लगवाएं।

पशु रखने के स्थान की सफाई रखें।

पशुओं के शरीर पर परजीवी जैसे किल्ली, मक्खी, मच्छर आदि को नियंत्रित करने के उपाय करें।