
प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ा व्यक्ति का हाथ
भोपाल. गैस पीडि़तों के इलाज के लिए राजधानी में स्थापित और डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ( BMHRC ) के डॉक्टरों ने हृदय की एक जटिल सर्जरी ( surgery ) को अंजाम दिया है। अस्पताल प्रशासन का दावा है कि मप्र के किसी भी सरकारी अस्पताल में पहली बार इस तरह की सर्जरी हुई है।
कार्डियक सर्जरी ( Cardiac surgery ) विभाग के प्रमुख डॉ संजीव गुप्ता और हृदय शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ सौरभ नंदा और उनकी टीम ने करीब 50 वर्षीय एक गैस पीडि़त महिला के हृदय से मस्तिष्क तक रक्त ले जाने वाली दो प्रमुख धमनियों (एओर्टा और एओर्टा आर्च) को बदला। इस सर्जरी की खास बात यह थी कि इस दौरान हृदय से मस्तिष्क में जाने वाले रक्त प्रवाह को नहीं रोका गया। ऑपरेशन के बाद महिला अब पूरी तरह स्वस्थ हैं और सामान्य तरीके से अपना जीवन यापन कर रही हैं।
बीएमएचआरसी के कार्डियक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ संजीव गुप्ता ने बताया कि मरीज सांस की तकलीफ के साथ बीएमएचआरसी के हृदय रोग विभाग में आई थी। जांच के बाद पता चला कि मरीज के हृदय के वॉल्व में कुछ खराबी है। इसके बाद हृदय रोग विभाग के डॉक्टरों ने मरीज को कार्डियक सर्जरी में रेफर कर दिया।
उन्होंने बताया कि मनुष्य के हार्ट के वॉल्व में एक मुख्य धमनी होती है, जिसे एओर्टा कहते हैं। जांच के दौरान एओर्टा के वाल्व में सिकुडऩ व एओर्टा में सूजन होने की जानकारी मिली। सामान्य तौर पर एओर्टा की मोटाई 2 से 3 सेमी होती है, लेकिन बीमारी की वजह से यह 6 सेमी तक मोटी हो गई थी। यह बहुत खतरनाक स्थिति होती है, क्योंकि असामान्य रूप से बड़ी हो जाने से यह कभी भी फट सकती थी।
एओर्टा से जुड़े होने के कारण एओर्टा के आर्च को बदलना भी जरूरी था। इसी वजह से जल्द से जल्द ऑपरेशन करने का फैसला किया गया। ऑपरेशन के बाद करीब 15 दिन तक मरीज को अस्पताल में रखने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। बीएमएचआरसी की निदेशक डॉ प्रभा देसिकन ने इसे संस्थान के लिए एक गर्व का क्षण बताते हुए पूरी टीम को बधाई दी।
इसलिए जटिल है यह सर्जरी
बीएमएचआरसी के कार्डियक सर्जन डॉ सौरभ नंदा ने बताया कि इस ऑपरेशन को व्हीट+हेमी आर्च रिप्लेसमेंट कहते हैं। इस प्रोसीजर में शरीर को 20 डिग्री के तापमान पर लाकर सीपीबी मशीन की सहायता से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह जारी रखते हुए सिर्फ आधे घंटे में एओर्टा और उसके आधे आर्च को बदला गया। धमनियों को बदलते हुए मस्तिष्क तक रक्त प्रवाह जारी रखना काफी चुनौतीपूर्ण है। साथ ही इस पूरी प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करना पड़ता है, क्योंकि ज्यादा समय लेने से मरीज की जान को खतरा हो सकता है।
Published on:
03 Jul 2019 09:45 am
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