Instructions issued to implement the Act on Bonus in MP - फाइल फोटो पत्रिका
Bonus- दीवाली महोत्सव पर हर किसी को बोनस की आस रहती है। प्राइवेट हो या सरकारी, सभी सेक्टर्स के कर्मचारियों, अधिकारियों को इस मौके पर अतिरिक्त राशि की दरकार रहती है। अधिकांश प्राइवेट संस्थानों में दीवाली के अवसर पर बोनस राशि देने की परंपरा निभाई जाती है। कई जगहों पर नाममात्र के पैसे ही दिए जाते हैं और कुछेक संस्थान यह औपचारिकता भी नहीं निभाते। हालांकि एमपी के श्रम विभाग का कहना है कि श्रमिकों को बोनस भुगतान जरूरी है। विभाग ने इसके लिए
1965 के अधिनियम पर अमल के निर्देश भी जारी किए हैं। बोनस नहीं देने पर श्रमिकों, कर्मचारियों को संबंधित संस्थानों की शिकायत करने को कहा गया है। इसके लिए विभाग ने टोल फ्री नंबर भी दिया है।
श्रम विभाग का कहना है कि बोनस, श्रमिकों-कर्मचारियों का अधिकार है। मध्यप्रदेश में चल रहे ऐसे व्यवसायिक या औद्योगिक संस्थान जहां बीस या इससे अधिक श्रमिक कार्यरत हैं और जिनका मासिक वेतन 21 हजार रूपए से कम है, उन्हें बोनस राशि का भुगतान किया जाना जरूरी है।
राज्य में सभी कारखानों और वाणिज्यिक संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों, श्रमिकों के लिए श्रम विभाग ने बोनस भुगतान अधिनियम 1965 के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अधिनियम के अनुसार हर लेखा वर्ष में किए गए कार्य के बोनस का भुगतान आगामी लेखा वर्ष में 30 नवंबर तक किया जाना चाहिए। बोनस की राशि 7000 रूपए अथवा 8.33% जो भी अधिक हो, वह देय होगी।
उप श्रम आयुक्त आशीष पालीवाल ने बताया है कि बोनस कर्मचारियों का अधिकार है। संस्थानों को नियमानुसार उन्हें बोनस देना चाहिए। बोनस का भुगतान नहीं होने की स्थिति में कर्मचारी शिकायत भी कर सकते हैं। ऐसी शिकायतें संबंधित जिला श्रम कार्यालय में, एलसीएमएस पोर्टल पर दर्ज करवा सकते हैं। श्रम विभाग ने इसके लिए टोल फ्री नंबर 18002338888 भी जारी किया है। इनके अलावा सरकार द्वारा संचालित cmhelpline पोर्टल 181 पर भी बोनस नहीं देने संबंधी शिकायतें की जा सकती हैं।
Updated on:
23 Oct 2025 09:00 pm
Published on:
23 Oct 2025 08:59 pm
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