
फोटो सोर्स: पत्रिका
MP News: मध्यप्रदेश में अब आठ शहरों में ई-बसों का संचालन किया जाएगा। इनमें से 6 शहर पहले से तय थे लेकिन अब इनमें देवास और सतना को और जोड़ा गया है। इसके साथ इंदौर और भोपाल में ई-बसों की संख्या बढ़ाई गई है। इन शहरों में सार्वजनिक बस सेवा के तौर पर केवल इलेक्ट्रिक बसें ही चलाने की तैयारी की जा रही है।
इस तरह पहले जहां प्रदेश में 582 ई-बसों का संचालन तय था वहीं अब यह संख्या बढ़कर 972 हो गई है। हालांकि इन बसों का संचालन शुरू होने के लिए अभी अगले साल तक इंतजार करना पड़ेगा। अभी बसों की टेंडरिंग प्रक्रिया में 6 से 8 माह लगेंगे।
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने मध्यप्रदेश के आठ शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, देवास और सतना के लिए 972 ई-बसों के संचालन की मंजूरी दे दी है। पहले इंदौर में 150 और भोपाल में 100 बसों का संचालन तय किया गयास था, लेकिन अब यहां 50-50 बसें और बढ़ा दी गई हैं।
प्रदेश में इन बसों का संचालन कई चरणों में शुरू किया जाएगा। हाल ही में प्रदेश में 400 ई-बसों का संचालन शुरू करने के लिए टेंडर खोले गए हैं। जल्द 300 और बसों के लिए टेंडर खोले जाएंगे। शेष बसों के लिए टेंडरिंग की प्रक्रिया बाद में होगी, जिसमें समय लगेगा। अभी खोले गए टेंडरों में हर बस के संचालन में प्रति किमी 58.40 रुपए रेट आया है। ऑपरेटर को प्रतिदिन 180 किमी बस चलाना होगी।
प्रदेश में ई-बसों का संचालन जीसीसी या ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रेक्ट मॉडल पर की जाएगी। इसमें इलेक्ट्रिक बस, ड्राइवर, कंडक्टर और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी संबंधित कंपनी की ही रहेगी। सरकार केवल प्रति किलोमीटर के हिसाब से उसे भुगतान करेगी। इसके लिए केन्द्र सरकार प्रति किलोमीटर के अनुसार 22 रुपए देगी।
केन्द्र सरकार यह राशि 12 साल तक देगी। इसके अलावा जो राशि बचेगी वह किराए से कवर होगी। जहां किराए से कवर नहीं हो पाएगी उसका भुगतान संबंधित नगरीय निकाय को करना होगा। इसलिए निकायों को भी इन बसों के संचालन के लिए आय के स्रोत विकसित करने के लिए कहा गया है। प्रदेश में इन बसों के लिए 11 चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं। शहरों में डिपो बनाने का काम भी किया जा रहा है।
ई- बसों के चार्जिंग की व्यवस्था भी मिलजुलकर की जा रही है। चार्जिंग स्टेशन और डिपो राज्य सरकार बनवाएगी। इसकी 60 फीसदी राशि केन्द्र और 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार दे रही है। लेकिन सरकार सिर्फ जमीन और इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करेगी।
चार्जिंग गन बसों का संचालन करने वाली कंपनी ही लगाएगी और बिजली का बिल भी कंपनी ही चुकाएगी। जबकि टिकिटिंग एजेंसी संबंधित निकाय द्वारा तय की जाएगी। टिकट का पैसा निकाय के पास जाएगा, इसी से बसों का भुगतान होगा।
केन्द्र सरकार ने इसकी भी पुख्ता व्यवस्था कर दी है कि ई-बसों को नियमित भुगतान होता रहे। इसके लिए बैंक में एक एस्क्रो एकाउंट खुलवाया जाएगा। इसमें राज्य सरकार को कम से कम तीन माह का एडवांस पेमेंट जमा कराना होगा। यदि निकाय भुगतान करने में विफल रहते हैं तो इस एकाउंट में से संचालनकर्ता कंपनी को भुगतान हो जाएगा।
Published on:
26 Oct 2025 11:24 am
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