
ओंकारेश्वर अभयारण्य से एमपी के दो जिलों का 611 वर्ग किमी का नक्शा बदला
Omkareshwar Sanctuary - मध्यप्रदेश के दो जिलों का नक्शा बदल गया है। नए ओंकारेश्वर अभयारण्य के कारण यह परिवर्तन हुआ है। इसमें खंडवा और देवास जिलों का 611 वर्ग किमी का इलाका शामिल किया गया है। ओंकारेश्वर अभयारण्य में 52 टापू भी शामिल किए गए हैं। मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर 1 नवंबर को प्रदेश को इस नए अभयारण्य का उपहार मिला। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आशा जताई है कि ओंकारेश्वर अभयारण्य वन्य-जीव संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह राज्य का 27वां अभयारण्य होगा।
ओंकारेश्वर अभयारण्य क्षेत्र में तेंदुए, भालू, सांभर, हाइना, चीतल सहित कई प्रकार के जीव पहले से मौजूद हैं। अब यहां बाघों भी रहेंगे। ओंकारेश्वर अभयारण्य में असम से जंगली भैंसे और गैंडे लाने की योजना पर भी काम चल रहा है।
यहां के मुख्य मांसाहारी जीवों में तेंदुआ, रीछ, बाघ, सियार और लकड़बग्घा हैं। शाकाहारी जीवों में मोर, चीतल, सांभर, चिंकारा, भेड़की, सेही, खरगोश और बंदर मौजूद हैं। ओंकारेश्वर अभयारण्या की प्रमुख वनस्पतियों में सागौन, सालई और धावड़ा शामिल हैं।
सीएम मोहन यादव का कहना है कि प्रदेश की प्राकृतिक संपदा को संरक्षित करने, पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। मध्यप्रदेश जैव-विविधता में अग्रणी है। प्रदेश में चीतों का सफल पुनर्स्थापन हो चुका है। अब नामीबिया के चीतों को नौरादेही अभयारण्य में भी छोड़ा जा रहा है।
ओंकारेश्वर अभयारण्य खंडवा और देवास जिलों को मिलाकर बनाया जाएगा। इसका कुल क्षेत्रफल 611.753 वर्ग किलोमीटर होगा। इसमें खंडवा जिले का 343.274 वर्ग किलोमीटर का इलाका और देवास जिले का 268.479 वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र शामिल होगा। स्थानीय मछुआरों और ग्रामीणों की आजीविका प्रभावित न हो, इसके लिए अभयारण्य से डूब क्षेत्र को बाहर रखा गया है।
सामान्य वनमंडल खंडवा के पुनासा, मूंदी, चांदगढ़, बलडी परिक्षेत्र तथा देवास वनमंडल के सतवास, कांटाफोड़, पुंजापुरा और उदयनगर परिक्षेत्र ओंकारेश्वर अभयारण्य में शामिल होंगे। वन विभाग की कार्ययोजना के अनुसार इसमें कोई भी राजस्व गांव या वनग्राम शामिल नहीं किया गया है।
ओंकारेश्वर अभयारण्य में 52 छोटे-बड़े टापू शामिल हैं। मूंदी रेंज में 31 और चांदगढ़ रेंज में 21 टापू शामिल होंगे। बोरियामाल और जलचौकी धारीकोटला को ईको-टूरिज्म केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा।
ओंकारेश्वर अभयारण्य में टूरिस्टों की सुविधा को ध्यापन में रखते हुए होटल और रिसोर्ट बनाए जाएंगे। सड़कें चौड़ी की जाएंगी, पहाड़ी ढालों और नदी तटों का संरक्षण करते हुए उन्हें संवारा जाएगा। विशेष रूप से रात की यातायात व्यवस्था पर फोकस किया जाएगा। अभयारण्य के लिए पर्यावरण संरक्षण के साथ पर्यटन और ग्रामीण विकास को भी प्राथमिकता दी गई है।
यहां ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाएगा।
वन अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि ओंकारेश्वर अभयारण्य से आसपास के 20 गांवों में पर्यटन आधारित रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इनमें अंधारवाडी, चिकटीखाल, सिरकिया, भेटखेडा, पुनासा और नर्मदानगर जैसे गांव शामिल हैं।
Updated on:
02 Nov 2025 09:17 pm
Published on:
02 Nov 2025 09:16 pm
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