
भीलवाड़ा का मैप और अधीक्षण अभियंता, यूआईटी राजू बडारिया। फोटो पत्रिका
Good News : बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या से जूझ रही टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा की सड़कों का लेवल, नाले व नालियों का फैला जाल तथा तालाब व झील के स्वरूप का विश्लेषण कर ड्रेनेज प्लान बनाया जाएगा। यह प्लान वर्ष 2035 तक शहर में होने वाले बदलाव पर आधारित रहेगा। राज्य सरकार से डीपीआर की मंजूरी मिलने के साथ ही प्लान पर कार्य शुरू हो जाएगा। अधीक्षण अभियंता, यूआईटी राजू बडारिया ने बताया कि राज्य सरकार ने भीलवाड़ा शहर के जल निकासी और वर्षा जल प्रबंधन परियोजना (ड्रेनेज प्लान) को मंजूरी दे दी है।
नगर विकास न्यास सचिव ललित गोयल की अगुवाई में अधीक्षण अभियंता राजू बड़ारिया व सहायक अभियंता रोहन अजमेरा ने तकनीकी सलाहकारों के साथ ड्रेनेज प्लान का विश्लेषण करना शुरू कर दिया है। स्थानीय विधायक अशोक कोठारी भी प्लान को सतही रूप से उभारने के लिए जयपुर तक जुटे हुए हैं। ड्रेनेज प्लान को किस प्रकार से बनाया जाएगा और इसमें किस प्रकार की भौतिक व भौगोलिक सरंचना शामिल होगी। इस संदर्भ में जानिए विस्तृत रिपोर्ट।
औद्योगिक समूह और पानी की मांग व निर्वहन, निचले क्षेत्रों में झुग्गी बस्तियां और अनौपचारिक बस्तियां, उपयोगिताएं और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, चालू और प्रस्तावित शहरी विकास परियोजनाएं (सड़कें, फ्लाईओवर, आवासीय कॉलोनियां) तथा बिजली और संचार उपयोगिताओं का भी विश्लेषण होगा। इसी प्रकार जिला प्रशासन से ऐतिहासिक बाढ़ रेकॉर्ड लिया जाएगा, जलभराव की शिकायतें वार्ड वार ली जाएंगी। प्राकृतिक नालियों, नालों, नहरों, पुलियों और मानव निर्मित तूफानी नालियों का विस्तृत क्षेत्र सर्वेक्षण होगा।
ड्रेनेज प्लान को अस्तित्व में लाने के लिए 120 स्कवायर किलोमीटर क्षेत्र वाले शहर के 70 वार्डों के लिए कमियों, बाधाओं और बाढ़ क्षेत्रों की पहचान की जाएगी। इसी प्रकार मौजूदा प्राकृतिक और मानव निर्मित तूफान, जल निकासी बुनियादी ढांचे का व्यापक सर्वेक्षण भी जीआईएस-आधारित रहेगा।
प्लान के लिए जलवायु और भूमि उपयोग परिवर्तन के आधार पर वर्तमान और अनुमानित जल निकासी भार निर्धारित करने के लिए हाइड्रोलॉजिकल और हाइड्रोलिक विश्लेषण भी किया जाएगा। इसी प्रकार वर्षा जनित जल निकासी नेटवर्क के लिए जीआईएस-आधारित जल निकासी की योजना चरणबद्ध तरीके से बनेगी। कार्यान्वयन रणनीति तैयार करें। प्लान में प्रशासनिक व शहर की सीमा एवं क्षेत्रीय जोन प्लान, बिल्डिंग फुटप्रिंट्स के साथ रोड नेटवर्क प्लान भी तैयार किया जाएगा।
प्लान में कोठारी (उत्तर) और बनास (दक्षिण) के साथ ही मेजर नाला (विशेष रूप से बनास में शामिल होने वाला उत्तरी नाला), झीलें और तालाब जैसे गांधी सागर तालाब, मानसरोवर झील, धांधोलाई, मांडल तालाब से आने व जाने वाले पानी तथा शहर के केंद्र से गुजरने वाला नहर नेटवर्क के प्रभाव को भी शामिल किया जाएगा।
राज्य सरकार ने भीलवाड़ा शहर के जल निकासी और वर्षा जल प्रबंधन परियोजना (ड्रेनेज प्लान) को मंजूरी दे दी है। शहर में व्यापक जल निकासी योजना तैयार करने का प्रस्ताव भीलवाड़ा 175 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र पर आधारित रहेगा। इसमें 70 वार्डों के साथ पांच योजना क्षेत्रों (ए, बी, सी, डी, ई1, ई2) का दायरा शामिल किया जाएगा।
शहर के उत्तर में कोठारी नदी और दक्षिण में बनास नदी स्थित है। शहर किसी ने किसी प्रकार से मेजा बांध, मांडल तालाब, गांधी सागर तालाब, धांधोलाई और मानसरोवर झील जैसे कई जल निकायों से जुड़ा हुआ है। ऐसे में नहरों और प्राकृतिक नालों के साथ, बरसाती पानी के प्रबंधन, जलभराव को रोकने और शहरी बाढ़ के जोखिमों को कम करने के लिए एक वैज्ञानिक रूप से नियोजित जल निकासी रणनीति की आवश्यकता है।
यह प्रस्ताव शहर के 70 वार्डों तक सीमित है जिसका क्षेत्रफल लगभग 120 स्कवायर किलोमीटर है। यह प्लान भविष्य में शहर के विकास एवं जलनिकासी प्रबंधन की दिशा में कारगर साबित होगा।
राजू बडारिया, अधीक्षण अभियंता, यूआईटी
Published on:
30 Oct 2025 11:53 am
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