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सड़क सुरक्षा पर संकट! मवेशियों से बढ़े हादसे, 20 महीने में 8 मौतें… अब परिवहन विभाग बनाएगा ‘सुरक्षा कचव’ SOP

Suraksha Kavach SOP: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद सड़कों पर खुले में घूमते और झुंड बनाकर बैठे मवेशी लगातार दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं।

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सड़क सुरक्षा पर संकट! मवेशियों से बढ़े हादसे, 20 महीने में 8 मौतें... अब परिवहन विभाग बनाएगा ‘सुरक्षा कचव’ SOP(photo-patrika)

सड़क सुरक्षा पर संकट! मवेशियों से बढ़े हादसे, 20 महीने में 8 मौतें... अब परिवहन विभाग बनाएगा ‘सुरक्षा कचव’ SOP(photo-patrika)

Suraksha Kavach SOP: छत्तीसगढ़ के भिलाई जिले में सड़क सुरक्षा के नाम पर योजनाएं तो बहुत बनीं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात जस के तस हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद सड़कों पर खुले में घूमते और झुंड बनाकर बैठे मवेशी लगातार दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। बीते 20 महीनों में 8 लोग ऐसे हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं। कई मवेशी भी वाहनों से टकराकर मौत का शिकार बने हैं।

नेशनल हाइवे हो, स्टेट हाइवे या फिर गांवों की सड़कें, हर जगह मवेशियों का कब्जा आम दृश्य है। शासन ने व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए, लेकिन नगर निगमों और पंचायत निकायों की सुस्ती के चलते हालात में कोई खास बदलाव नहीं आया। हर महीने होने वाली सड़क सुरक्षा बैठक में निर्णय तो होते हैं, लेकिन कार्रवाई फाइलों में बंद रह जाती हैं।

Suraksha Kavach SOP: हादसों के आधिकारिक आंकड़े

दुर्ग जिले में सड़कों पर घूमते मवेशी लगातार दुर्घटनाओं की वजह बन रहे हैं। बढ़ते हादसों को रोकने के लिए परिवहन विभाग ने विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) तैयार की है। इसमें संवेदनशील स्थानों की पहचान, मवेशियों का वैज्ञानिक प्रबंधन, आपदा स्थिति में राहत व्यवस्था और जनजागरूकता अभियान शामिल हैं। सभी संबंधित विभागों को इसे सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

आम लोगों में बढ़ रही चिंता

रायपुर-भिलाई मार्ग पर रोजाना यात्रा करने वाले व्यापारी संजय गुप्ता कहते हैं कि ‘निकाय न तो लावारिस गौवंश पर रोक लगाता है, न इन्हें सड़क पर छोड़ने वालों का पता लगा पाता है। हादसे लगातार बढ़ रहे हैं।’ समाजसेवी पीयूष अग्रवाल का कहना है कि ‘हाईवे पर सफर करते समय सबसे ज्यादा डर झुंड में बैठे मवेशियों से रहता है। सिस्टम इनकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं दिखता।’

सुरक्षा उपाय नाकाफी

ट्रैफिक पुलिस कुछ स्थानों पर मवेशियों को हटाने और रात के समय रेडियम लगाने का काम कर रही है, लेकिन यह अस्थायी समाधान है। स्थायी व्यवस्था के अभाव में हादसों का खतरा बना हुआ है।

एसओपी का मुख्य उद्देश्य

  • यातायात अवरोध और दुर्घटनाओं मेें कमी
  • सड़कों से मवेशियों का विस्थापन व सुरक्षित प्रबंधन
  • गंदगी और स्वास्थ्य जोखिम में कमी
  • मवेशी मालिकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना

नोट: इनके अलावा रोजाना कई छोटे हादसे होते हैं, जिनकी शिकायत दर्ज नहीं होती।

यह होगा जमीनी अमल

  • संवेदनशील स्थानों की पहचान
  • मुख्य सड़कों, बाजार, चौराहों और औद्योगिक क्षेत्रों की मैपिंग
  • मवेशियों की ईयर टैगिंग व सूचीबद्धता ताकि मालिकों की पहचान संभव हो
  • अस्थायी आश्रय स्थलों का निर्माण
  • हर स्ट्रेच के लिए नोडल अधिकारी तैनात
  • चिकित्सा सुविधा का मानचित्र तैयार
  • हादसे के दौरान त्वरित चिकित्सा सहायता सुनिश्चित

इस तरह होगा मवेशियों का प्रबंधन

  • कलेक्टर की निगरानी में निगरानी दल का गठन
  • पंजीकृत गोशाला, कांजी हाउस और अभयारण्यों में पुनर्वास
  • काउ-कैचर वाहन की व्यवस्था
  • चारा, देखभाल और घायल मवेशियों का उपचार सुनिश्चित
  • धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा
  • व्यवहार सुधार पर फोकस
  • पंचायतों, जनसभाओं और चौपालों के जरिए पालकों को प्रेरित
  • पशुओं को खुले में न छोड़ने के लाभ समझाए जाएंगे
  • स्कूलों में सड़क सुरक्षा व पशु प्रबंधन की शिक्षा
  • सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों से लगातार जागरूकता
  • संवेदनशील स्थानों पर चेतावनी संकेतक बोर्ड
  • अंधेरे क्षेत्रों में समुचित प्रकाश व्यवस्था
  • दुर्घटना स्थल पर तत्काल रेस्क्यू और यातायात नियंत्रण
  • हर हादसे का विश्लेषण कर भविष्य में रोकथाम की रणनीति

एएसपी ट्रैफिक ऋचा मिश्रा ने कहा की मवेशियों को हटाने और रेडियम लगाने का काम किया जा रहा है, लेकिन इन्हें व्यवस्थित स्थान पर शिफ्ट करना सबसे ज़रूरी कदम है। शासन स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो हादसे बढ़ेंगे।