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भिलाई की ‘सुपर स्मार्ट सिटी’ योजना धरी रह गई, दस साल बाद भी कागजों में कैद सपना…

Super Smart City: भिलाई जिले में दस साल पहले भिलाई को ‘सुपर स्मार्ट सिटी’ बनाने का सपना दिखाया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी।

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Super Smart City: कागजों में सिमट गई सुपर स्मार्ट सिटी(photo-patrika)

Super Smart City: कागजों में सिमट गई सुपर स्मार्ट सिटी(photo-patrika)

Super Smart City: छत्तीसगढ़ के भिलाई जिले में दस साल पहले भिलाई को ‘सुपर स्मार्ट सिटी’ बनाने का सपना दिखाया गया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी। कागजों पर स्मार्ट ट्रैफिक, स्मार्ट पार्किंग, सीवरेज और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का खाका तैयार किया गया।

लेकिन, सरकार बदलने के साथ ही सपना भी ठंडे बस्ते में चला गया। आज हालात यह हैं कि शहर में तीन सड़कें जरूर बन गईं, लेकिन बाकी योजनाएं फाइलों और पीपीपी मॉडल की जटिलताओं में उलझकर रह गईं।

Super Smart City: कागजों में सिमट गई सुपर स्मार्ट सिटी

जाम से जूझता शहर, टूटी सडक़े और अधूरा स्मार्ट सिटी का सपना

ठंडे बस्ते में पीपीपी मॉडल की योजनाएं

सपना बनाम हकीकत

जवाहर मार्केट में अव्यवस्था

पावर हाउस के जवाहर मार्केट में स्थायी पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। त्योहारों के दौरान यातायात विभाग कभी थाने परिसर तो कभी नापतौल केंद्र की जमीन पर अस्थायी पार्किंग बना देता है। अब तो लोग राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे वाहन खड़े करने लगे हैं, जिससे पैदल चलने वालों को भारी परेशानी होती है।

तीन सड़कें बनीं, बाकी सब अधूरी रह गईं

सुपर स्मार्ट सिटी योजना के तहत निगम ने भिलाई के कैंप क्षेत्र में 18 नंबर रोड, डबरा पारा से हथखोज मार्ग, और नेहरू नगर गुरुद्वारा से जोन-1 कार्यालय तक की सड़क का निर्माण कराया।

इन तीन सडक़ों से लोगों को जरूर राहत मिली, लेकिन शहर के बाकी हिस्सों में जाम, गड्ढे और अव्यवस्था ने स्मार्ट सिटी के मायने ही बदल दिए हैं।

पीपीपी मॉडल पर पार्किंग योजना ठप

शहर में बढ़ते वाहनों को देखते हुए आकाशगंगा या हिमालय कॉप्लैक्स के पास मल्टीलेवल पार्किंग बनाने की योजना बनी थी। यह परियोजना पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर लागू की जानी थी। निजी एजेंसियों ने निर्माण लागत और पार्किंग शुल्क पर अपनी शर्तें रखीं, जो निगम को मंजूर नहीं हुईं। योजना ठंडे बस्ते में चली गई। आज शाम होते ही सडक़ों पर गाड़ियों की कतारें लग जाती हैं।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्लांट अभी अधर में

सुपर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत सेमरिया में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्लांट स्थापित किया जाना था। सरकार बदलने के बाद यह योजना भी थम गई। अब जाकर नगर निगम ने इसे पुन: शुरू करने की कवायद की है। करीब 100 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस प्लांट में जिले के सात नगरीय निकायों से कचरा एकत्र कर वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन किया जाएगा।