
हे प्रभु...1100 फीट खुदाई पर भी नसीब नहीं दे रहा साथ, बढ़ रही प्यास
जयपुर. पानी के अंधाधुंध दोहन, उजड़ती हरियाली और पहाड़ खोखले करने से निरंतर बारिश का ग्राफ गिरता जा रहा है। जिससे पेयजल के हालात भयावह हो रहे हैं। लगातार दोहन से कई जगह तो जलस्तर पाताल तक पहुंच गया है। जिससे हर दो से तीन साल में नलकूप सूखते जा रहे हैं। जयपुर जिले के कई इलाकों में तो भू गर्भ में पानी बहुत गहराई तक भी नहीं मिल रहा। सरकार की ओर से डार्क जोन की बंदिश हटने के बाद बोरिंग की छूट से हालात और विकट हो गए हैं। वर्तमान में हालात यह है कि कई तहसीलों में पानी के लिए 900 से 1100 फीट तक बोरिंग करने के बावजूद पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा।
भू गर्भ में नहीं पानी....
जयपुर ग्रामीण में बगरू, शाहपुरा, विराटनगर, पावटा, कोटपूतली, चौमूं, बस्सी, जमवारामगढ़ सहित कई तहसील क्षेत्रों में हालात बेहद चिंताजनक हैं। इनमें करीब 400 से लेकर 1100 फीट गहराई तक खुदाई करनी पड़ रही है। शाहपुरा व विराटनगर के कई गांवों में तो भू गर्भ में पानी ही नहीं मिल पा रहा है। जिससे जलदाय विभाग को अन्य इलाकों में बोरिंग का पानी लाकर आपूर्ति करनी पड़ रही है। चौमूं इलाके में 1100 फीट तक खुदाई के बाद पानी मिल रहा है। जिले में अधिकांश जगह जलदाय विभाग को नदी क्षेत्रों में बोरिंग कर कई किमी दूर से पेयजल लाना पड़ रहा है। फिर भी मापदंडों के अनुसार प्रतिव्यक्ति पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा।
हर साल 50 फीट गिर रहा जलस्तर.....
जयपुर ग्रामीण के कई इलाकों में दो साल पहले बोरिंग की गहराई 700 से 800 फीट थी। अब 900 से 1100 फीट तक करनी पड़ रही है। बोरिंग करने वालों का कहना है कि भूगर्भ में जल स्तर गहराने से हर साल सैंकड़ों बोरिंग तो सूखे ही निकल रहे हैं। जहां पानी मिल रहा है, वहां भी दो से तीन वर्ष में सूख जाते हैं। जलदाय विभाग के मुताबिक तीन साल में 100 से अधिक बोरवेल में पानी नहीं मिला। ऐसा ही हाल निजी बोरवेल का भी है।
सिंचाई तो दूर पीने को ही नहीं मिल रहा पानी....
हालात इतने विकट हैं कि शाहपुरा, विराटनगर, पावटा, जमवारामगढ़, कोटपूतली, चौमूं, बगरू तहसील क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होने से हर साल खेती का रकबा भी घट रहा है। शाहपुरा में तो अब अधिकांश भू-भाग में बारिश आधारित खेती होने लगी है। ऐसे ही हाल विराटनगर, जमवारामगढ़, चौमूं का भी है।
तोड़ रहे पाताल....
तहसील---खुदाई
विराटनगर--- 900 से 1000 फीट
शाहपुरा--- 800 से 900 फीट
कोटपूतली --- 600 से 700फीट
चौमूं --- 700 से 1100 फीट
बगरू --- 500 से 600 फीट
बस्सी --- 350 से 600 फीट
जमवारामगढ़ --- 700 से 800 फीट
इनका कहना है....
लगातार बारिश की कमी व अत्यधिक जल दोहन से भूजल स्तर गिरता जा रहा है। सितम्बर 2020 में सरकार द्वारा निजी नलकूपों को छूट देने के बाद से जलदोहन अधिक बढ़ा है।
—विशाल सक्सैना, एक्सईएन जलदाय विभाग, शाहपुरा
बगरू क्षेत्र में साल दर साल भू-जलस्तर गिरता जा रहा है। करीब छह सौ फीट खुदाई के बाद पानी मिल रहा है। फ्लोराइड की मात्रा भी अधिक है। ऐसे में सिंचाई करना भी मुश्किल होता जा
रहा है।
—भागंचद बूरी, किसान, बगरू
Published on:
20 Apr 2022 11:23 pm
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