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राजस्थान: बिना DM की मंजूरी के नहीं बनेगा सरकारी भवन, हर नए निर्माण से पहले देनी होगी यह रिपोर्ट

अब कोई भी विभाग नया भवन निर्माण प्रस्ताव तभी भेज सकेगा, जब जिला कलक्टर यह प्रमाणित करेंगे कि जिले में उपयोग योग्य भवन उपलब्ध नहीं है।

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Photo- Patrika

बस्सी । राजस्थान सरकार अब अनावश्यक सरकारी भवन निर्माण पर लगाम कसने की तैयारी में है। हाल ही में हुए एक सर्वे में सामने आया कि प्रदेश में 10 हजार से अधिक सरकारी भवन या तो वर्षों से खाली हैं या विभागीय समन्वय के अभाव में अनुपयोगी हो चुके हैं।

सरकार का मानना है कि इन भवनों का उपयोग सरकारी कार्यालयों के रूप में किया जा सकता है, जिससे नए निर्माण की जरूरत काफी हद तक कम हो जाएगी। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने वित्त, आबकारी और कराधान विभाग की ओर से जारी आदेश में सभी जिला कलक्टरों को निर्देश दिए कि किसी भी विभाग की ओर से नया भवन निर्माण प्रस्ताव मिलने पर पहले यह तय किया जाए कि जिले में पहले से कोई उपयोग योग्य भवन नहीं है। यदि भवन उपलब्ध हैं, तो उन्हीं का पुनः उपयोग किया जाए।

बिना प्रमाण पत्र नहीं बनेगा भवन

अब कोई भी विभाग नया भवन निर्माण प्रस्ताव तभी भेज सकेगा, जब जिला कलक्टर यह प्रमाणित करेंगे कि जिले में उपयोग योग्य भवन उपलब्ध नहीं है। वित्त विभाग ने स्पष्ट किया कि नए भवनों के लिए अब अंधाधुंध स्वीकृतियां नहीं दी जाएगी। इस व्यवस्था से न केवल राजकोष पर भार घटेगा बल्कि पहले से बने भवनों का उपयोग भी होगा।

विभागीय समन्वय की कमी से बिगड़ी स्थिति

जिला स्तर पर विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण कई सरकारी भवन अनुपयोगी हो गए हैं। शिक्षा विभाग के कई पुराने स्कूल भवन अब खंडहर बन चुके हैं। वहीं पंचायत भवनों में कभी-कभी अन्य विभागों के अस्थायी कार्यालय चला दिए जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि विभाग आपसी समन्वय बढ़ाएं तो नए भवन निर्माण की आवश्यकता कई बार टल सकती है।

Rajasthan में खाली भवनों की स्थिति

  • प्रदेश में 10 हजार से अधिक सरकारी भवन खाली या अनुपयोगी।
  • कई भवनों में वर्षों से कोई गतिविधि नहीं।
  • कुछ भवनों का उपयोग अन्य विभागों के कार्यों में किया जा सकता है।
  • जर्जर भवनों की मरम्मत कर उपयोग में लाने की तैयारी।

भविष्य में बनेगा ‘भवन बैंक’

सूत्रों के अनुसार आगे चलकर प्रत्येक जिले में 'भवन बैंक' बनाया जाएगा। इसमें सभी सरकारी भवनों का डेटा दर्ज रहेगा। कौन-सा भवन उपयोग में है, कौन-सा खाली है और कौन-सा मरम्मत योग्य है। इससे विभागों को नया भवन मांगने से पहले उपलब्ध भवनों की जानकारी आसानी से मिल सकेगी।

प्रशासनिक सख्ती से बदलेगा सिस्टम

विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम सरकारी संसाधनों के अपव्यय को रोकने में मील का पत्थर साबित होगा। अब तक कई विभाग बिना आवश्यकता के नई इमारतें बनवा लेते थे, जबकि पुराने भवन अनुपयोगी पड़े रहते थे। नई व्यवस्था से जवाबदेही तय होगी और सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी।

जयपुर जिले में 180 सरकारी स्कूलों के भवन खाली

जयपुर जिले में शिक्षा विभाग की बात की जाए तो आंधी, बस्सी, चाकसू, दूदू, गोविंदगढ़, जालसू, जमवारामगढ़, झोटवाड़ा, जोबनेर, किशनगढ़ रेनवाल, कोटखावदा, मौजमाबाद, फागी, सांभरलेक, शाहपुरा व तूंगा में 180 सरकारी स्कूलों के भवन खाली है, जो आज किसी काम नहीं आ रहे हैं। यदि जयपुर जिले अन्य विभागों की बात की जाए तो करीब 250 सरकारी भवन खाली हैं जो किसी काम नहीं आ रहे।

इनका कहना है

प्रदेश में करीब 10 हजार सरकारी भवन ऐसे हैं, जो वर्तमान में कोई काम नहीं आ रहे हैं, उनको सरकारी कार्यालय के काम लिया जा सकता है। जिला कलक्टरों को आदेश दिए है कि जिले में कोई भी सरकारी भवन का निर्माण उनकी स्वीकृति के बिना नहीं होगा।

  • सुधांश पंत, मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार