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राजस्थान के वनों पर जलवायु परिवर्तन की काली छाया

2030 में प्रदेश (Rajasthan) का 76 प्रतिशत वन क्षेत्र (forest Area) हाई क्लाइमेट (climate change ) हॉटस्पॉट की जद में होगा  

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राजस्थान के वनों पर जलवायु परिवर्तन की काली छाया

राजस्थान के वनों पर जलवायु परिवर्तन की काली छाया

- अभिषेक सिंघल

जयपुर. जलवायु परिवर्तन (climate Change) तेजी से अपना प्रभाव छोड़ रहा है। अगर यही हालात रहे तो आने वाले कुछ दशकों में सघन वन क्षेत्रों (forest Area) में इसके चिंताजनक परिणाम देखने को मिलेंगे। इसके असर की बात करें तो जलवायु (climate change) में अधिक बदलाव देखा गया तो तापमान (tamparature) और बारिश (rainfall) के दायरे में बड़ी उथल-पुथल देखने को मिलेगी। बारिश और तापमान के इस घालमेल से कुछ इलाकों में शुष्कता (dryness) बढ़ सकती है जिससे वन क्षेत्रों पर खतरा मंडराएगा वहीं कुछ इलाकों में बारिश बढ़ने पर हरियाली बढ़ने की भी उम्मीद जगती है।


वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले आठ साल में प्रदेश का 12 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक वन क्षेत्र तीव्र जलवायु परिवर्तन क्षेत्र की जद में आ जाएगा वहीं 2050 में पूरा वन क्षेत्र तेज रफ्तार में हॉटस्पॉट बनने की तरफ बढ़ेगा। इसके तीन दशक बाद ढाई हजार वर्ग किमी. क्षेत्र क्रिटिकल हॉट स्पॉट की जद में आ जाएगा। पूरे देश में हिमालय क्षेत्र के वन ज्यादा प्रभावित होंगे। गौरतलब है कि फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट 2021 के मुताबिक प्रदेश में सघन वन क्षेत्र 78 मध्यम घना 4342, वन क्षेत्र 12210 वर्ग किलोमीटर का है। रिपोर्ट में अनुमान है कि आगामी पचास साल में जलवायु परिवर्तन से भारत का सात लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित होगा।

अगले आठ साल बेहद चिंताजनक

एफएसआई ने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी एंड साइंस, पिलानी के गोवा कैम्पस के साथ मिल कर तापमान व बरसात के आंकड़ों के आधार पर 2030, 2050 व 2085 में ऐसे क्षेत्र चिन्हित किए हैं जो जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों का सर्वाधिक सामना करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक आरसीपी 4.5 के आधार पर 2030 में राजस्थान का 12613 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र हाई क्लाइमेट हॉटस्पॉट हो जाएगा तो 2050 में बढ़ कर 16630 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र वेरी हाई क्लाइमेट हॉटस्पॉट हो जाएगा। वहीं आरसीपी 8.5 के आधार पर राजस्थान में 2030 में 13833 फोरेस्ट कवर का 76 प्रतिशत 2050 में 12436 वेरी हाई और 4194 एक्स्ट्रीम हाई तथा 2085 में 13891 एक्स्ट्रीम हाई और 2739 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र क्रिटिकल हॉटस्पॉट की जद में आ जाएगा।


प्रदेश में हर साल 115 मिलीयन मीट्रिक टन सीओटू (CO2) का उत्सर्जन

राजस्थान में हर वर्ष 110 से 115 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन हो रहा है। गौरतलब है कि वातावरण में सीओटू का स्तर लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिक वैश्विकतापमान (global tamprature) के 1.5 डिग्री सेंटीग्रेट तक बढ़ने की चेतावनी दे चुके हैं। जिससे विश्व की 14 प्रतिशत जनसंख्या और 2 डिग्री तक बढ़ने पर विश्व की 37 प्रतिशत जनसंख्या भीषण गर्मी की चपेट में होगी।

क्या है क्लाइमेट हॉटस्पॉट (climate hotspot)


वन क्षेत्र का ऐसा भू भाग जिसमें वर्ष1860 -1900 के मुकाबले 1.5 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की बढ़ोतरी (global warming) की आशंका हो या उस क्षेत्र में बरसात में 1960-1990 के मुकाबले बरसात में 20 प्रतिशत से ज्यादा की कमी या बढ़ोतरी होने की आशंका हो।

श्रेणी तापमान में बढ़त बरसात में अंतर


हाई 1.5 से 2.1 डिग्री सें. 20% से 26%


वेरी हाई- 2.1 से 3.3 डिग्री सें. 26% से 32%


एक्स्ट्रीम हाई 3.3 से 5.1 डिग्री सें. 32% से 38%

क्रिटीकल- 5.1 से 6.6 डिग्री सें. 38% से 41%


इनका कहना है...

जलवायु परिवर्तन अनुमानों के अलग-अलग साइंटिफिक मॉडल्स हैं। प्रदेश में ट्रॉपिकल ड्राई व ट्रॉपिकल एरिड वन क्षेत्र हैं। तापमान व बारिश का असर अलग-अलग वन क्षेत्र पर भिन्न होगा। शुष्कता बढ़ेगी तो वनों की सघनता पर असर आएगा वहीं बारिश बढ़ने की उम्मीद से वन क्षेत्र की सघनता भी बढ़ेगी।

- डॉ. डी.एन.पाण्डेय, पीसीसीएफ (हॉफ), राजस्थान