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SDM बोले- प्रिंसिपल कौन होता है, भेजा है तो क्या मेरे ऊपर बैठेंगे? कलेक्टर टीना डाबी से शिकायत के बाद जानें क्या हुआ

बाड़मेर मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार जांच के दौरान एसडीएम यथार्थ शेखर और डॉ. महावीर चोयल के बीच हुई नोक-झोंक का मामला सुलझ गया। कलक्टर टीना डाबी के हस्तक्षेप से दोनों पक्षों में सुलह हो गई।

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Barmer Medical College

कलक्टर के हस्तक्षेप के बाद हुई सुलह (फोटो- पत्रिका)

Barmer Medical College: बाड़मेर मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार की जांच के दौरान उपखंड अधिकारी (एसडीएम) यथार्थ शेखर और सहायक आचार्य डॉ. महावीर चोयल के बीच हुई नोक-झोंक के बाद बढ़े विवाद का रविवार को जिला कलक्टर टीना डाबी के हस्तक्षेप से पटाक्षेप हो गया। इससे पहले जिला अस्पताल में राजकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय से जुड़े चिकित्सक संघ की बैठक हुई थी।


बता दें कि बैठक में डॉ. महावीर चोयल के साथ अमर्यादित व्यवहार के विरोध और आगे की रणनीति पर चर्चा की गई थी। चिकित्सकों ने सोमवार को एसडीएम के विरोध में शांतिपूर्ण विरोध रैली की भी योजना बनाई थी।


जांच के सिलसिले में एसडीएम यथार्थ शेखर अपने कमेटी के सदस्यों के साथ मेडिकल कॉलेज पहुंचे। निरीक्षण और जांच के दौरान सहायक आचार्य डॉ. महावीर चोयल के साथ उनका मनमुटाव हो गया। इसके बाद समस्त चिकित्सक एकत्रित हुए और जिला कलक्टर को शिकायत सौंप दी।


रविवार शाम जिला कलक्टर टीना डाबी ने मामले में हस्तक्षेप किया। उन्होंने चिकित्सकों और एसडीएम को साथ बैठाकर समझाइश की। दोनों पक्षों के बीच सकारात्मक वार्ता हुई। चर्चा के बाद दोनों के बीच सुलह हो गई। इसके बाद चिकित्सकों ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी।


क्या था पूरा मामला?


डॉर्क्ट्स का आरोप था कि एसडीएम ने सहायक आचार्य डॉ. महावीर चोयल के साथ अभद्र व्यवहार किया और कहा कि प्रिंसिपल कौन होता है, प्रिंसिपल ने भेजा है तो क्या मेरे ऊपर आकर बैठेंगे?


वहीं, एसडीएम का कहना था कि वे भ्रष्टाचार की जांच के लिए आए थे और प्रारंभिक जांच में अनियमितताएं पाई गईं। उनका दावा था कि यह आरोप केवल जांच को भटकाने के प्रयास हैं।


टीना डाबी ने गठित की थी कमेटी


जिला कलक्टर टीना डाबी ने मेडिकल कॉलेज में कांट्रेक्ट बेस समेत अन्य भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने पर 21 अक्टूबर को बाड़मेर एसडीएम यथार्थ शेखर की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया था। कमेटी में बाड़मेर तहसीलदार, अस्पताल अधीक्षक समेत अन्य सदस्य शामिल थे।


'यह केवल जांच भटकाने का प्रयास'


एसडीएम यथार्थ शेखर के मुताबिक, वे जिला कलक्टर की ओर से गठित कमेटी के आधार पर भ्रष्टाचार की जांच के लिए गए थे। प्रारंभिक जांच में अनियमितताएं पाई गई, जिसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही थी।


वहीं, एसडीएम का कहना था कि जांच को भटकाने के लिए मेरे ऊपर आरोप लगाए जा रहे हैं। जब हमने जांच की जानकारी ली, तो डॉक्टर ने मेरे साथ अभद्र व्यवहार किया। इसकी शिकायत कलक्टर से की गई।


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