
बरेली। सूफी सुन्नी विचारधारा के केंद्र, दरगाह आला हज़रत से एक गूंजती हुई आध्यात्मिक चेतावनी पूरे मुल्क के मुसलमानों तक पहुंचाई गई है। जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय महासचिव और सूफी परंपरा के युवा चेहरा फरमान हसन खान (फरमान मियां) ने कहा है कि वक्फ ज़मीन सिर्फ एक इमारत या खेत नहीं, बल्कि “अमानत-ए-दीन” है, जिसकी हिफाज़त ईमान का हिस्सा है। उन्होंने सख्त लहजे में कहा—
"अगर 5 दिसंबर 2025 से पहले वक्फ संपत्तियों का ‘उम्मीद पोर्टल’ पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया, तो कल इंतेज़ाम नहीं अदालतों में पेशियां होंगी और औलादें पूछेंगी—अमानत का हक क्यूं नहीं अदा किया?"
केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम 2025 के बाद ‘उम्मीद पोर्टल’ की शुरुआत की है, जिसका मकसद है। मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान और वक्फ ज़मीनों का सरकारी रिकॉर्ड तैयार करना।
रजिस्ट्रेशन होने पर संपत्ति कानूनी सुरक्षा में आ जाएगी, और किसी भी ज़मीन पर आने वाले वक्त में अगर विवाद उठे तो सरकारी रिकॉर्ड गवाही देगा।
देर हुई तो वक्फ संपत्तियां “अपंजीकृत / विवादित” कैटेगरी में चली जाएंगी, और दस्तावेज़ न होने के कारण हक जताना मुश्किल हो जाएगा।
फरमान मियां ने कहा कि वक्फ ज़मीनें हमारी दुआओं का साया हैं। अगर हम इसकी हिफाज़त नहीं करेंगे, तो आने वाली नस्लें हमें माफ़ नहीं करेंगी। आज दस्तावेज़ पूरे करके रजिस्ट्रेशन करा लें… वरना कल मीनारें रहेंगी, पर हक़ीक़त खो जाएगी।"
उन्होंने सभी इमामों, मुतवल्लियों और ट्रस्टों से अपील की कि https://upsunniwaqfboard.org/ पर जाकर तुरंत रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू करें और हर मस्जिद व मोहल्ले में इस संदेश का एलान करें।
Published on:
11 Oct 2025 09:57 pm
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