बरेली। हरुनगला, बड़ा बाईपास, रामपुर रोड, बदायूं रोड, रिठौरा और डोहरा क्षेत्र की जमीनों पर अचानक से बढ़ी रजिस्ट्री गतिविधियों ने आयकर विभाग का ध्यान खींच लिया है। विभाग ने शहर के नामचीन शराब कारोबारियों, सर्राफा व्यापारियों और उद्योगपतियों की बेनामी जमीन खरीद पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जांच में पता चला है कि इन लोगों ने मुखौटा किसानों के नाम से रजिस्ट्री कराकर करोड़ों की संपत्तियां दबा रखी हैं। आयकर विभाग रजिस्ट्री कराने वाले किसान ढूंढे नहीं मिल रहे हैं।
बरेली आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शहर के ऐसे 25 से अधिक प्रभावशाली नामों की सूची तैयार की गई है, जिन्होंने 2004 से अब तक हरुनगला और डोहरा क्षेत्र में लाखों-करोड़ों की जमीन खरीद कर बेनामी संपत्ति तैयार की है।
अतिरिक्त आयकर आयुक्त कृष्ण कुमार मिश्रा ने 30 सितंबर को डीएम अविनाश सिंह को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है, जिसमें खसरा नंबर, गाटा संख्या, खरीदारों के नाम-पते, पिता का नाम और खरीद की तारीख तक दर्ज है, ताकि प्रशासन को मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने में कोई बाधा न हो। पत्र मिलते ही डीएम ने एडीएम वित्त को जिम्मेदारी सौंपते हुए तहसील सदर प्रशासन को सक्रिय कर दिया है। एसडीएम सदर और तहसीलदार को सभी बैनामा रजिस्ट्रियों की जांच और सरकारी दरों पर मूल्यांकन रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं।
आयकर विभाग की सूची में सोबरन सिंह, कन्हई लाल, भोले राम, छोटे लाल, झनकारी लाल, तोड़ी राम, दिनेश चंद, रमेश चंद्र, मोहन लाल, चरन खेमकरण, चंद्रपाल, रामपाल, राजाराम, उमाशंकर, होरीलाल, शिवचरन, गुरप्रीत सिंह, रघुनंदन, राजीव कुमार सहित कई नाम शामिल हैं। लेकिन ये सभी नाम मुखौटे हैं। दरअसल इनके पीछे हैं बिल्डर, कारोबारी, सफेदपोश नेता, कब्जे और मौका मुआयने की जांच के आधार पर अब उनकी कुंडली तैयार की जायेगी। विदित हो कि इनमें से कुछ नाम शहर में सोने-चांदी के बड़े कारोबार और शराब के ठेके, खनन नेटवर्क से जुड़े हैं, जबकि कुछ उद्योगपति हैं जिनके नाम अब तक सामने नहीं आए थे।
सूत्रों का कहना है कि आयकर विभाग ने जमीनों के 15 से अधिक गाटा नंबर चिन्हित कर लिए हैं और अब इन पर 'बेनामी' का ठप्पा लगने की पूरी संभावना दिख रही है। जैसे ही मूल्यांकन रिपोर्ट डीएम कार्यालय से वापस जाएगी, उसी के आधार पर कड़ी वित्तीय व कानूनी कार्रवाई तय मानी जा रही है।
नाम न छापने की शर्त पर एक बडे़ आयकर अधिकारी ने बताया कि बेनामी संपत्ति अधिनियम के तहत इनकी संपत्ति कुर्क की जा सकती है। नाम बदलकर की गई रजिस्ट्री रद्द हो सकती है। खरीदार और मुखौटा दोनों पर दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी। इन पर धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज होगी और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है। नाम उजागर होने पर राजनीतिक-सामाजिक हलकों में खलबली मचने वाली है। बरेली के कई कारोबारियों के चेहरे बेनकाब हो जायेंगे। अगली कड़ी में होगा नामों का खुलासा….
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Updated on:
18 Oct 2025 06:19 pm
Published on:
18 Oct 2025 06:09 pm
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