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इस बार नहीं रहेगा भद्रा का साया, शुभ योग में बंधेगी राखियां

इस बार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2.12 पर शुरू होगी लेकिन उदिया तिथि न होने के कारण 8 तारीख को रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। इसी दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा।

बारां

Mukesh Gaur

Jul 16, 2025

रक्षाबंधन
source patrika photo

यह महासंयोग आठ ग्रहों की पुनरावृति के साथ, ऐसा 1728 के बाद 297 साल में पहली बार देखा जा रहा है

छबड़ा. भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व अगले माह 9 अगस्त को मनाया जाएगा। इस बार खास बात यह है कि रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा।

ज्योतिषाचार्यों और पंडितों के अनुसार इस बार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2.12 पर शुरू होगी लेकिन उदिया तिथि न होने के कारण 8 तारीख को रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। इसी दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा। वहीं इस बार रक्षाबंधन विशेष योग में मनेगा।

इस बार रक्षाबंधन पर बन रहे तीन योग

पंडित बताते है कि इस बार रक्षाबंधन के दिन बहुत ही शुभ योग बन रहा है। सौभाग्य नाम के योग के साथ ही सहित शोभन योग, सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह महासंयोग आठ ग्रहों की पुनरावृति के साथ हो रहा है। ऐसा 1728 के बाद 297 साल में पहली बार देखा जा रहा है। वहीं इस दिन शनिश्रवण योग भी बन रहा है और धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा जो कि बहुत ही शुभ है। इस दिन पूजा की अवधि 7 घंटे 37 मिनट तक रहेगी। इस बार कोई भी भद्रा नहीं है। सभी श्रेष्ठ रूप से इस त्योहार को मना सकते हैं।

प्रात: काल से ही रहेंगे मुहूर्त

ज्योतिष के मुताबिक पूर्णिमा तिथि 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। इस दिन भद्रा काल नहीं होने से प्रात: काल से ही शुभ मुहूर्त रहेंगे। राहु काल 9.12 से सुबह 10.55 तक होने से यह समय त्याज्य रहेगा। इसका मतलब यह शुभ योग रक्षाबंधन पर दोपहर 12.06 बजे से 12.58 बजे तक अभिजीत काल रहेगा, इसे शास्त्रों के अनुसार सबसे श्रेष्ठ काल माना जाता है। इसके अलावा प्रात: 7.08 बजे से 8.13 तक, सुबह 10.55 से दोपहर 1.37 बजे तक, दोपहर 2.43 से 3.48 बजे तक व शाम 5.48 से रात 8.54 बजे तक श्रेष्ठ समय रहेगा।

पिछले साल था त्योहार पर भद्रा का साया

उल्लेखनीय है कि पिछले साल 19 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व मनाया गया था। उस दिन सुबह से दोपहर तक भद्राकाल होने से दोपहर 1.32 बजे बाद बहनों ने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी थी। उल्लेखनीय है कि भद्राकाल के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित है। भद्राकाल के समापन के बाद शुभ कार्य किए जा सकते हैं। इसलिए रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधी जाती है।