मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में, बेंगलूरु की यातायात जाम समस्या के निराकरण के लिए 117 किलोमीटर लंबे बिजनेस कॉरिडोर को मंज़ूरी दे दी है। इस परियोजना का नाम पहले पेरिफेरल रिंग रोड था, जिसे बदलकर बेंगलूरु बिजनेस कॉरिडोर कर दिया गया है।
उप मुख्यमंत्री व बेंगलूरु विकास मंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। पेरिफेरल रिंग रोड परियोजना का नाम बदलकर बेंगलूरु कॉरिडोर कर दिया गया है और इसे मंज़ूरी दे गई गई है। परियोजना के निर्माण में तेजी लाने के लिए उन किसानों को विकास अधिकार प्रदान किए जाएंगे, जिनकी जमीन इस परियोजना के लिए अधिग्रहित की जाएगी। भूमि मालिकों को मुआवजे के चार विकल्प दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह कॉरिडोर तुमकूरु रोड से यलहंका, इलेक्ट्रॉनिक सिटी और मैसूरु रोड होते हुए तुमकूरु रोड को जोड़ेगा। इस सडक़ का 73 किलोमीटर हिस्सा उत्तरी बेंगलूरु में और शेष दक्षिणी बेंगलूरु में होगा। पिछली सरकार ने इस परियोजना को अधिसूचित तो किया था, लेकिन वापस नहीं लिया था। बेंगलूरु को नाइस रोड के विकल्प की जरूरत है। सरकार हुडको के माध्यम से इस परियोजना के लिए 27 हजार करोड़ रुपए ऋण लेने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि शुरुआती अधिसूचना 100 मीटर चौड़ी सडक़ के लिए थी। नई परियोजना में हमने सडक़ की चौड़ाई 65 मीटर रखने का फैसला किया है, जो बेंगलूरु-मैसूरु राजमार्ग जितनी चौड़ी है। भविष्य में मेट्रो परियोजना के लिए इसमें 5 मीटर का प्रावधान होगा। कॉरिडोर के लिए 100 मीटर की एक समान चौड़ाई में जमीन अधिग्रहित की जाएगी। शेष 35 मीटर जमीन कारोबारी विकास के लिए मुआवजे के तौर पर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जमीन मालिकों को मुआवजेे के चार विकल्प दिए जा रहे हैं। बाजार मूल्य से दोगुना मुआवजा देने का प्रावधान है। अगर कुछ जमीनों के मालिक व्यावसायिक जमीन नहीं चाहते, तो उन्हें बीडीए लेआउट में 40 प्रतिशत विकास भूमि उपलब्ध कराएंगे।
शिवकुमार ने कहा कि यह परियोजना 2 साल में पूरी हो जाएगी। अगर कुछ जमीन मालिक भूमि देने से इनकार करते हैं, तो मुआवजे की राशि अदालत में जमानत के तौर पर जमा कराएंगे और परियोजना को आगे बढ़ाएंगे। किसी भी कीमत पर किसी भी जमीन को डी-नोटिफाई नहीं किया जाएगा। बेंगलूरु में बढ़ते यातायात की वजह से लोगों का दम घुट रहा है। सरकार ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया है। एक सवाल के वजाब में उन्होंने कहा कि इस परियोजना से शहर की यातायात जाम समस्या 40 फीसदी कम हो जाएगी, क्योंकि आने-जाने वाले वाहन शहर से गुजरने के बजाय इसी सडक़ का इस्तेमाल करेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी बताया कि 20 गुंटा से कम जमीन वालों को केवल नकद मुआवजा दिया जाएगा। इससे ज़्यादा जमीन वालों को विकल्प चुनने का अधिकार होगा। इस परियोजना से लगभग 1900 से परिवार प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि पहले इस परियोजना पर 27 हजार करोड़ की लागत अनुमानित था, लेकिन मुआवजा योजना के कारण 10 हजार करोड़ होने का अनुमान है।
Published on:
18 Oct 2025 08:24 pm
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