Tesla(Image-Tesla.com)
Tesla Cars In India: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ रुख कर रहे हैं। बैटरी से चलने वाली गाड़ियां लोगों को पसंद आ रही है। इसके बावजूद Tesla जैसी दिग्गज कंपनी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पा रही है। कुछ महीनों पहले ही टेस्ला ने भारत में शोरूम की शुरुआत की थी। उसे उम्मीद थी कि अमेरिका और बाकी देशों की तरह भारत में भी लोग पसंद करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। आइए जानते हैं, इसके पीछे के मुख्य कारण।
टेस्ला कारों की कीमत भारत में सबसे बड़ी बाधा मानी जा रही है। आयात शुल्क और टैक्स जोड़ने के बाद इसकी कीमत कई गुना बढ़ जाती है। जहां अमेरिकी बाजार में टेस्ला मॉडल 3 की कीमत करीब 30 लाख तक होती है, वहीं भारत में यह कीमत 60 लाख या उससे अधिक तक पहुंच जाती है। भारत के आम उपभोक्ता के लिए यह रकम बहुत ज्यादा है। इसलिए ज्यादा बिक्री ना होने का सबसे बड़ा कारण ऊंची कीमतें हो सकती हैं।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग जरूर बढ़ी है लेकिन अभी भी इस बाकि गाड़ियों के मुकाबले काफी कम है। EVs की हिस्सेदारी कुल वाहन बिक्री का केवल 4-5 प्रतिशत ही है, जिसका मतलब है कि टेस्ला एक बहुत सीमित प्रीमियम सेगमेंट को टारगेट कर रही है। जिससे उनकी बिक्री सिमित है।
भारत में चार्जिंग स्टेशनों की संख्या अभी भी सीमित है। मेट्रो शहरों को छोड़कर बाकी जगहों पर फास्ट चार्जिंग की सुविधा नहीं के बराबर है। ऐसे में लंबी दूरी की यात्रा करने वाले लोगों के लिए टेस्ला कार का उपयोग करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए लोग इस गाडी की ओर कम आकर्षित हो रहे हैं। साथ ही टेस्ला के सर्विस सेंटर भारत में अभी नहीं हैं। अगर किसी हिस्से की मरम्मत या बदलाव की जरूरत पड़ जाए तो उसे विदेश से मंगवाना पड़ता है, जिससे खर्च और समय दोनों बढ़ जाते हैं।
भारत की सड़कों की स्थिति और ट्रैफिक पैटर्न बाकि पश्चिमी देशों से काफी अलग है। टेस्ला की कारें हाईवे ड्राइविंग के लिए डिजाइन की गई हैं, जबकि भारत में शहरों के अंदर भारी ट्रैफिक और खराब सड़कों पर ड्राइविंग अधिक होती है। ऐसे में इसकी “ग्राउंड क्लीयरेंस” और ऑटोपायलट सिस्टम जैसी सुविधाएं भारत की परिस्थितियों में उतनी उपयोगी नहीं दिखतीं। साथ ही टेस्ला की ऑटोपायलट मोड में भी समय-समय पर शिकायत आती रहती है। अभी हाल ही में अमेरिका में टेस्ला की कई लाख गाड़ियों पर जांच की बात कहीं गई है।
भारतीय बाजार में अब टाटा नेक्सॉन ईवी, एमजी ZS ईवी और महिंद्रा XUV400 जैसे सस्ते और भरोसेमंद इलेक्ट्रिक ऑप्शन मौजूद हैं। ये कारें न केवल बजट-फ्रेंडली हैं बल्कि स्थानीय जरूरतों के हिसाब से तैयार की गई हैं। इस कारण टेस्ला की प्रीमियम ईवी ग्राहकों के लिए “प्रैक्टिकल” विकल्प नहीं बन पा रही।
टेस्ला सेल्स रिपोर्ट की बात करें तो पिछले महीने यानी सितंबर में भारत में कुल 61 गाड़ियों की बिक्री हुई है। जिसमें अकेले मुंबई में 41 गाड़ी बिकी है। जबकि 11 दिल्ली में और 5 पुणे में बिकी है। थाने, अमरावती, गुरुग्राम, मीरा भाईंदर में 1-1 गाड़ी बिकी है।
Published on:
13 Oct 2025 02:01 pm
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