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Dev Deepawali 2025: सिर्फ कुछ घंटे का शुभ मुहूर्त! मनोकामना पूर्ति के लिए इस योग में करें दीपदान

Dev Deepawali 2025: देव दीपावली के दिन स्वयं देवता पृथ्वी पर आकर दीप जलाते हैं। इस बार देव दीपावली के दिन एक अत्यंत शुभ महायोग बन रहा है, जो कुछ ही घंटों के लिए रहेगा।

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भारत

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MEGHA ROY

Nov 03, 2025

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Dev diwali hindu festiva|फोटो सोर्स – Freepik

Dev Deepawali 2025: देव दीपावली का पर्व साल के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 5 नवंबर 2025 को पड़ रही है। मान्यता है कि इस दिन स्वयं देवता पृथ्वी पर आकर दीप जलाते हैं। इस बार देव दीपावली के दिन एक अत्यंत शुभ महायोग बन रहा है, जो कुछ ही घंटों के लिए रहेगा। कहा जाता है कि इस विशेष योग में किया गया दीपदान न केवल सौभाग्य बढ़ाता है, बल्कि मनोकामनाओं की पूर्ति भी करता है। आइए जानते हैं इस महायोग और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से

देव दीपावली का धार्मिक महत्व

कथाओं के अनुसार, इस दिन देवताओं ने त्रिपुरासुर का वध करने वाले भगवान शिव के सम्मान में दीप जलाए थे। तभी से इसे देव दीपावली कहा जाता है। काशी सहित देशभर के गंगा घाटों पर इस अवसर पर दीपों की अद्भुत छटा देखने को मिलती है।

देव दीपावली 2025 का शुभ मुहूर्त (Dev Deepawali Shubh Muhurat)

  • पूर्णिमा तिथि की शुरुआत: 4 नवंबर 2025, रात 10:36 बजे
  • पूर्णिमा तिथि का समापन: 5 नवंबर 2025, शाम 6:48 बजे
  • शुभ समय रहेगा शाम 5:15 बजे से 7:50 बजे तक, कुल 2 घंटे 37 मिनट का पवित्र मुहूर्त।इसी समय दीपदान और आरती करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

देव दीपावली पर विशेष योग (Dev Deepawali Shubh Yog)

इस बार देव दीपावली पर शिववास योग जैसे विशिष्ट संयोग बन रहे हैं यह शुभ योग शाम 6:48 बजे से प्रारंभ होगा। इस योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।

देव दीपावली पूजन विधि (Dev Deepawali Pujan Vidhi)

  • ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु व शिव की आराधना का संकल्प लें।
  • घी या तिल के तेल के दीपक जलाएं। घर के मंदिर, आंगन, द्वार और गंगा जल के प्रतीक स्थान पर दीपदान करें।
  • भगवान शिव और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। इसके बाद शिव चालीसा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • संध्या के शुभ मुहूर्त में आरती करें और जल में या घर के आंगन में दीप प्रवाहित करें।