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चार घंटे तक नहीं थी नवजात में हलचल… फिर हुआ चमत्कार! भगवान ने दिया जीवनदान, डॉक्टरों की मेहनत से धड़का नन्हा दिल

Amroha News: अमरोहा जिले से एक चमत्कारिक घटना सामने आई है, जहां जन्म के करीब चार घंटे तक निश्चल पड़ी नवजात बच्ची का दिल अचानक धड़कने लगा। चिंतित परिवार ने बाल रोग विशेषज्ञ से मदद मांगी और डॉक्टरों ने उसे तुरंत एनबीएसयू में भर्ती किया। समय पर मिले उपचार और रेडिएंट वार्मर मशीन की मदद से बच्ची की जान बच गई।

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amroha newborn heartbeat after four hours miracle story

चार घंटे तक नहीं थी नवजात में हलचल… Image Source - Pexels

Newborn heartbeat after four hours in Amroha: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले से ऐसी अद्भुत घटना सामने आई है, जिसने डॉक्टरों और परिजनों दोनों को भावुक कर दिया। दारानगर गांव में पैदा हुई एक नवजात बेटी जन्म के बाद लगभग चार घंटे तक बिल्कुल निश्चल पड़ी रही, जिससे परिवार का मन भय और चिंता से भर गया। सबको लगा कि शायद नवजात जीवित नहीं है, लेकिन चार घंटे बाद अचानक बच्ची का दिल धड़क उठा।

प्रसव के बाद नवजात में नहीं दिखी हलचल

दारानगर के मुकेश अपनी पत्नी हरवती को प्रसव पीड़ा के चलते सीएचसी लेकर पहुंचे थे, जहां सामान्य प्रसव कराया गया। बच्ची के जन्म के बाद डॉक्टरों ने बताया कि नवजात में कोई हलचल नहीं हो रही। इस ख़बर ने माता-पिता को तोड़ दिया। चार घंटे तक स्थिति जस की तस रही, जिससे अस्पताल में मौजूद परिजनों में निराशा और डर का माहौल बन गया।

बाल रोग विशेषज्ञ से मदद की गुहार

गंभीर स्थिति देख परिवार ने तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ एवं सीएचसी प्रभारी डॉ. योगेंद्र सिंह से संपर्क किया। डॉक्टरों ने नवजात की जांच की और उसे तुरंत एनबीएसयू (न्यू बोर्न स्टेबलाइज्ड यूनिट) में भर्ती करने का निर्णय लिया। इसी उपचार की प्रक्रिया के बीच नवजात में हलचल शुरू हुई और उसके दिल की धड़कनें लौट आईं।

एनबीएसयू में भर्ती होते ही बदली स्थिति

एनबीएसयू में भर्ती कर उपचार शुरू होते ही बच्ची ने प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार, यह यूनिट गंभीर स्थिति वाले नवजातों के लिए जीवनदायी साबित होती है। बच्ची की धड़कनें लौटते ही परिवार की आँखों में खुशियों के आँसू छलक पड़े। डॉक्टरों ने घोषणा की कि नवजात अब खतरे से बाहर है।

एनबीएसयू की भूमिका पर डॉक्टरों का जोर

सीएचसी प्रभारी ने बताया कि एनबीएसयू ऐसे नवजातों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्हें पीलिया, न्यूमोनिया या तापमान नियंत्रण की आवश्यकता होती है। यहां मौजूद रेडिएंट वार्मर मशीन इन्हें नियंत्रित गर्मी प्रदान करती है, जो कई बार जान बचाने वाली साबित होती है। उन्होंने कहा कि यदि बच्ची को समय पर इस यूनिट में भर्ती नहीं किया जाता, तो उसकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती थी।


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