Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दीपोत्सव की तैयारी : सेवल मंदिर में गाय के गोबर से बनेंगे ढाई लाख दिए, दीपावाली पर घर-आंगन होंगे रोशन

पर्यावरण शुद्ध करने के साथ धार्मिक और अध्यात्मिक महत्व भी रखते हैं

2 min read

गोविन्दगढ. सेवल मंदिर में गाय के गोबर के दीपक निर्माण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, जो न केवल पर्यावरण अनुकूल हैं, बल्कि धार्मिक और अध्यात्मिक महत्व भी रखते हैं।

सेवल मन्दिर के जमुना जीवन कृष्णदास ने बताया कि गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गाय के गोबर को एंटीसेप्टिक माना गया हैं। इसी कारण पूर्वज त्योहार के मौके पर गाय के गोबर का लेप घरों में करते थे।ऐसे बनते हैं गोबर के दीपक

सेवल मन्दिर के प्रतिनिधि जमुना जीवनकृष्ण दास ने बताया कि 10 किलो गोबर में 100 ग्राम लकड़ी का बुरादा और 100 ग्राम ग्वार गम पाउडर मिलाया जाता है। ग्वार गम पाउडर बाइंडिंग के रूप में कार्य करता है। जिससे दीपक मजबूत और टिकाऊ बनते हैं। प्रक्रिया में गोबर, बुरादा और ग्वार गम को मिलाकर सांचे में डालकर दीपक का आकार दिया जाता है। दीपक को सूखने के लिए तीन दिन का समय लगता है, जिसके बाद वाटर पेंट किया जाता है, जो दीपक का सौंदर्यकरण करता है। सेवल मंदिर का लक्ष्य गोबर के ढाई लाख दीपक बनाकर स्थानीय क्षेत्र में वितरित करना है, जिससे गौ सेवा को बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण में भी सहयोग मिलेगा। अभी तक 50,000 से ज्यादा दीपक बन चुके

पूजा के बाद खाद के रूप में उपयोगदीपावली पर पूजन में उपयोग के बाद घर के गमले में इसे डाल दें, जिससे यह खाद के रूप में काम करेगा सीकरी, गोविंदगढ़, गोपालगढ़, रामगढ़ और आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में इन दीपकों का वितरण होगा। सेवल मन्दिर का प्रयास है कि मंदिर क्षेत्र से 40 किलोमीटर की परिधि में हर घर में सेवल मंदिर गोशाला की गाय के बने दीपक से दीपोत्सव पर लक्ष्मीजी की पूजा हो। सेवल मंदिर की इस पहल से न केवल स्थानीय समुदाय को लाभ होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और गौ सेवा को भी बढ़ावा मिलेगा। यह सकारात्मक कदम है।

वातावरण शुद्ध के लिए दीपावली पर गोबर से बने दीपक जलाने की तैयारी है। ज्यादा से ज्यादा लोगों व हर घर तक इसकी पहुंच सुनिश्चित करने की योजना है।

जीवनकृष्ण दास, प्रतिनिधि सेवल मंदिर।