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अलवर में पहली बार आई वेंकटेश बालाजी धाम में 18  इंच की गाय

इस बार भक्तों की गोपाष्टमी पर छोटी गाय को देखने और उसकी पूजा करने की मनोकामना पूरी होने वाली है। अलवर शहर के वेंकटेश बालाजी धाम में पुंगनूर नस्ल की गाय को लाया गया है।

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इस बार भक्तों की गोपाष्टमी पर छोटी गाय को देखने और उसकी पूजा करने की मनोकामना पूरी होने वाली है। अलवर शहर के वेंकटेश बालाजी धाम में पुंगनूर नस्ल की गाय को लाया गया है। जो देखने में बहुत सुंदर है और आकार बहुत छोटा होने के कारण यह सबको आकर्षित कर रही है।

कई लोग इन्हें अपने घर पर पालते हैं. इन गायों की सुंदरता और कद काठी की वजह से ही लोग इन्हें अपने साथ रखते हैं और उसकी सेवा करते हैं। यह गाय आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में सबसे ज्यादा पाई जाती हैं, यहां के शहर पुंगनूर पर ही इनका नाम रखा गया है। आश्रम में इनकी अठखेलियां देखने और दर्शन के लिए भक्त पहुंच रहे हैं।

स्वामी सुदर्शनाचार्य ने बताया कि दिल्ली और कानपुर के भक्तों ने यह दान दी है जो कि तेलगांना के पुंगनूर जिले से करीब 56 घंटे के सफर के बाद यहां आई है। राजस्थान में संभवत: तीसरी गाय है। इनकी कीमत करीब ढाई लाख रुपए है। जबकि दूध देने वाली गाय की कीमत वहां पर करीब 11 लाख रुपए के लगभग है।

यह जोड़ा है इनको राधा-किशन नाम दिया गया है। फिलहाल इनकी लंबाई करीब 18 इंच है और यह बड़ी होने पर 25 से 27 इंच तक रहेगी। यह प्रजाति लुप्त प्राय: होने को थी, इसे तेलंगाना में संरक्षित किया गया है। अलवर में भी इसकी वंश वृद्धि और संरक्षण के प्रयास किए जाएंगे। यह प्रजाति बहुत ही संवेदनशील है और समझदार है, जो सेवा करता है उनको पहचानती है।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर शेयर किया वीडियो, तब से बढ़ी मांग

पीएम मोदी ने जब मकर संक्रांति के मौके पर इस गाय के साथ अपना एक वीडियो जारी किया तो देशभर के लोगों को इसके बारे में पता चला, तभी से इसकी मांग भी बढ़ गई और महंगी होने के बावजूद गोपालक इसे खरीदना पसंद कर रहे हैं। पुंगनूर नस्ल की गाय के दूध में कई पोषक तत्व और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। इस नस्ल की गायें करीब तीन लीटर तक दूध देती हैं। इनके दूध में काफी कम मात्रा में फैट होता है। इसका जिक्र पुराणों में भी आया है। इसका वजन भी कम होता है और रखरखाव आसान होता है।