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अलवर हादसा: एक साथ उठीं चार अर्थियां, बिलखते रहे बुजुर्ग माता-पिता, बोले- 4 बच्चियों को अब कौन संभालेगा?

Alwar Road Accident: महेन्द्र, उसकी पत्नी गुड्डी देवी और भतीजी पायल के शव का अलग-अलग चिताओं पर दाह संस्कार किया गया। जबकि महेन्द्र के पुत्र पूर्वांश को दफनाया गया।

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अलवर

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Anil Prajapat

Nov 03, 2025

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विलाप करती महिला को ढांढस बंधाते हुए। फोटो: पत्रिका

अलवर। राजस्थान के अलवर जिले में हुए भीषण सड़क हादसे के बाद नांगल झीड़ा गांव गम और मातम में डूबा हुआ है। मृतक महेन्द्र जाटव के घर से रह-रह कर महिलाओं का विलाप सुनाई दे रहा था। गांव का हर शस गमजदा था और आक्रोशित भी…। पूरे गांव में किसी के भी घर में चूल्हा नहीं जला। हर आंख नम थी।

ग्रामीणों की मांग है कि जिस वाहन चालक ने चार जनों की जान ली, उस गुनहगार को सख्त सजा मिलनी चाहिए। थार गाड़ी की चपेट में आने से शनिवार देर शाम महेन्द्र जाटव, उसकी पत्नी गुड्डी देवी, पुत्र पूर्वांश और महेन्द्र की भतीजी पायल की मौत हो गई थी।

हादसे में महेन्द्र की घायल बेटी खुशबू अलवर के एक निजी अस्पताल में भर्ती है। खुशबू की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। महेन्द्र समेत ये पांचों जने एक ही बाइक पर सवार होकर अलवर के शालीमार क्षेत्र में आए थे। यहां महेन्द्र के भतीजे की शादी के दौरान आयोजित महिला संगीत कार्यक्रम शामिल हुए थे और लौटते समय छठी मील के पास यह दर्दनाक हादसा हो गया था।

एक साथ उठीं चार अर्थियां, हर आंख रोई

रविवार को एक साथ चार अर्थियां उठीं, तो हर शख्स की आंखों से आंसू बहने लगे। महेन्द्र, उसकी पत्नी गुड्डी देवी और भतीजी पायल के शव का अलग-अलग चिताओं पर दाह संस्कार किया गया। जबकि महेन्द्र के पुत्र पूर्वांश को दफनाया गया।

बुजुर्ग माता-पिता की आंखें रो-रो कर पथराईं

महेन्द्र के पिता हरकिशन की उम्र 85 साल और मां सुख बाई की उम्र करीब 82 साल है। इस हादसे के बाद इन दोनों पर दुखों का पहाड़ टूटा है। रो-रोकर इनकी बुजुर्ग आंखें पथरा गई हैं। हरिकिशन ने रोते हुए कहा कि मेरा तो पूरा परिवार ही खत्म हो गया। बुढ़ापे की लाठी टूट गई। अब इन बच्चियों को अब कौन संभालेगा?

महेन्द्र की तीन बेटियां स्कूल गई हुई थीं

मृतक महेन्द्र की तीन बेटियां 16 साल की मोनिका, 14 साल की रेणु व 9 साल खुशी हैं। मोनिका 12वीं में, रेणु 10वीं में तथा खुशी तीसरी कक्षा में पढ़ती है। शनिवार को जब महेन्द्र समेत परिवार के पांचों सदस्य अलवर आए, तब ये तीनों स्कूल गई हुई थीं। वे यह नहीं जानती थीं कि उनके मम्मी-पापा, इकलौता भाई और चचेरी बहन कभी लौट कर नहीं आएंगे। महेन्द्र के भाई सुबेसिंह की 4 बेटियां हैं, इनमें से एक बेटी पायल की इस हादसे में मौत हुई है। एक अन्य भाई प्रकाश के 3 पुत्र व एक पुत्री है।