Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अंकल हमें बचा लो, पापा शराब पीकर आए हैं, मम्मी को मार रहे हैं

Alwar News: एक साल के भीतर 255 बच्चों ने चाइल्ड लाइन की हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया और मदद मांगी कि अंकल हमें बचा लो, पापा शराब पीकर आए हैं, मम्मी को मारते हैं।

2 min read
Google source verification

अलवर

image

Supriya Rani

Nov 16, 2024

प्रतीकात्मक फोटो

प्रतीकात्मक फोटो

ज्योति शर्मा. बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। इनके साथ हो रही घटनाओं का असर इनके दिल व दिमाग पर पड़ता है। घर-परिवार या स्कूल में इनके साथ कुछ गलत होता है तो ये इसे जीवनभर भुला नहीं पाते हैं इसलिए इनको सकारात्मक वातावरण में पढ़ने व रखने की जरूरत है। लेकिन अलवर में ऐसा नहीं हो रहा है। जिले के स्कूलों में पढ़ रहे कुछ बच्चे शोषण का शिकार हो रहे हैं। घर-परिवार में भी शोषण झेलने को मजबूर हैं। ऐसे में ये बच्चे चाइल्ड लाइन पर फोन कर मदद मांग रहे हैं।

चाइल्ड लाइन पर ऐसे भी कॉल आते हैं, जिसमें बच्चा कहता है कि अंकल, टीचर हमारी टीसी नहीं दे रहे हैं, हमें स्कूल से निकाल रहे हैं, टीचर हमें मारते हैं। इसके अलावा इस तरह के भी कॉल आते हैं कि अंकल पापा शराब पीकर आए हैं। हमारी मम्मी को मार रहे हैं, हमें बचा लीजिए।

चाइल्ड हैल्पलाइन के आंकड़ों के अनुसार, 255 मामलों में से 50 मामले स्कूल से जुड़ी घटनाओं के हैं। इसके बाद घर पर परिजनों के परेशान करने के मामले हैं, जिनकी संख्या 48 है।

इनमें से अधिकांश मामलों में या तो पति-पत्नी के बीच झगडे़ की वजह से बच्चा प्रताड़ित हो रहा है या फिर बच्चे को परिजनों ने अलग कर दिया है। कुछ बच्चों ने खेलकूद से रोकने और पढ़ाई का दबाव डालने और मारपीट करने की शिकायत की है। चाइल्ड मिसिंग के 47 मामले हैं। जबकि शेष मामले चाइल्ड लेबर, शेल्टर, मेडिकल सुविधा, चाइल्ड लेबर, चाइल्ड मैरिज आदि की शिकायतों के हैँ।

फोन पर मांगते हैँ मदद, पहचान रहती है गुप्त

चाइल्ड लाइन का नंबर 1098 बच्चों के लिए मददगार साबित हो रहा है। बच्चों के साथ स्कूल या घर कहीं पर भी कोई परेशानी आती है तो सबसे पहले इस नंबर पर फोन कर मदद मांगते हैं। शिकायत कर्ता की पहचान गुप्त रखी जाती है।

बच्चों को दें भय मुक्त माहौल

जिन बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का शोषण व प्रताड़ना होती है, तो वे बच्चे हर समय डरे-सहमे रहते हैं। ये सही और गलत का निर्णय नहीं ले पाते हैँ। इनके सोचने समझने की क्षमता कम हो जाती है। परिवार हो या फिर स्कूल, बच्चों को भय मुक्त वातावरण की जरूरत होती है। पति-पत्नी के खराब रिश्तों का असर भी बच्चों के दिमाग पर पड़ता है, इसलिए बच्चों के सामने माहौल सही रखें। - डॉ. प्रियंका शर्मा, मनोरोग विशेषज्ञ, सामान्य चिकित्सालय

सभी मामलों का हो चुका है निस्तारण

चाइल्ड लाइन पर जो भी शिकायतें आती हैं, उनका तुरंत निस्तारण किया जाता है। सभी 255 मामलों का निपटारा किया जा चुका है। अब सीडैक सिस्टम से काम किया जा रहा है। प्रत्येक कॉल सीडैक के माध्यम से चाइल्ड हेल्पलाइन टीम को प्राप्त होती है, इससे यह फायदा हुआ कि सीडैक में प्रत्येक केस की प्रॉपर रिकॉर्डिंग अवेलेबल रहती है और प्रत्येक केस का फॉलो अपकॉलर को दिया जाता है। - रविकांत, उपनिदेशक, बाल अधिकारिता विभाग

यह भी पढ़ें: राजस्थान में शिक्षकों को मिली बड़ी सौगात, सरकारी सहित अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में इन्हें मिलेगा फायदा