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अलवर। जिले के चंदपुरा-पुनखर गांव के बीच बहने वाली सूखी नदी में जगह-जगह प्याज के ढेर देख लोग चौंक गए। बाद में पता चला कि कुछ किसानों ने चार ट्रॉलियों में भरा प्याज इस नदी में फेंक दिया। कारण- किसानों की लाचारी। किसानों ने एक बीघा में 50 हजार रुपए खर्च कर प्याज की पैदावार की, लेकिन मंडी में उन्हें यह प्याज थोक में 5 रुपए से लेकर 15 रुपए प्रतिकिलो के भाव में बेचना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि प्याज की पैदावार में खाद-बीज, सिंचाई, मजदूरी और परिवहन का खर्चा जोड़ दें तो लागत भी नहीं निकल रही। जिले के किसान समर्थन मूल्य प्याज की खरीद की मांग कर रहे हैं।
जिले में प्याज की इस बार बंपर पैदावार हुई है, लेकिन मंडी में भाव कम हैं। इससे निराश और हताश हैं। किसानों को प्याज के उचित दाम नहीं मिल रहे। किसानों की मेहनत पर बे-मौसम हुई बारिश ने पानी फेर दिया। मंडी व्यापारी प्याज की गुणवत्ता खराब बताकर कम दाम दे रहे हैं।
चंदपुरा व इसके आसपास के गांवों में किसानों ने इस बार बड़े पैमाने पर प्याज की खेती की थी। किसानों को उम्मीद थी कि बेहतर दाम मिलेंगे, लेकिन बाजार में कीमतें बेहद कम हैं। प्याज के लगातार गिरते दामों से परेशान किसानों ने अपनी मेहनत की उपज नदी में फेंक दी।
कई किसानों का कहना है कि प्याज की खेती के लिए कर्ज लिया था। अब फसल तैयार होने पर उचित दाम न मिलने से वे लिया गया कर्ज चुकाने में असमर्थ हैं। किसान गंगासहाय, हरनेश, रमेश आदि का कहना है कि सरकार को प्याज का समर्थन मूल्य तय कर किसानों को राहत देनी चाहिए। किसानों को कर्ज के दबाव से बचाने के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधि आगे आएं।
किसानों का कहना है कि सरकार यदि समर्थन मूल्य घोषित कर प्याज की खरीद व्यवस्था नहीं करती, तो स्थिति और ज्यादा गंभीर हो जाएगी। कई किसानों ने भविष्य में प्याज की नई फसल बोने से भी इनकार कर दिया है।
सुरेश चंद मीना सहित अन्य किसानों ने बताया कि इस बार प्याज की भरपूर पैदावार हुई, लेकिन मंडी में खरीदार नहीं हैं। लागत तक नहीं निकल रही। मजबूरी में किसानों ने अपनी उपज को नष्ट करना ही उचित समझा।
Updated on:
29 Oct 2025 07:54 pm
Published on:
29 Oct 2025 07:48 pm
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