Sita Navami Ka Kya Mahatva Hai: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता इसी दिन पुष्य नक्षत्र के संयोग में मध्याह्न में धरती से प्रकट हुईं थीं। इसीलिए इस दिन को सीता जयंती या सीता नवमी के रूप में मनाते हैं। इसको जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार वैशाख शुक्ल नवमी तिथि को सीता जी प्रकट हुईं, इसलिए इसे जानकी जयंती या सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। इस बार 5 मई 2025 वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। यह दिन स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त माना जाता है।
सीता नवमी, रामनवमी के लगभग एक महीने बाद मनाया जाता है। इस दुर्लभ अवसर पर देवी मां सीता के साथ भगवान राम की भी पूजा करना श्रेष्ठ है, जिस प्रकार रामनवमी को अत्यंत शुभ फलदायी त्योहार के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार सीता नवमी को भी अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है।
सीता नवमी पर विशेष रूप से माता सीता की उपासना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। साथ ही जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। मान्यता है इस दिन मां सीता की विधि विधान से पूजा करने पर आर्थिक तंगी दूर होती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भगवान श्री राम को विष्णु का रूप और माता सीता को लक्ष्मी का रूप कहा गया है। मान्यता है कि शुभ दिन पर अगर हम भगवान श्री राम के साथ माता सीता की भी पूजा करें तो भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। साथ ही इस दिन मां सीता की पूजा और व्रत से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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नवमी तिथि का प्रारंभ: 05 मई सोमवार को सुबह 07:35 बजे
नवमी तिथि का समापन: 06 मई सुबह 08:38 बजे
ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए सीता नवमी 05 मई को मनाई जाएगी।
पूजा का मुहूर्तः मान्यता के अनुसार मां सीता का प्राकट्य वैशाख शुक्ल नवमी को मध्याह्न में पुष्य नक्षत्र के संयोग में हुआ था। इसलिए पूजा अभिजित मुहूर्त में करना शुभ रहेगा।
सीता नवमी पूजा अभिजित मुहूर्तः सुबह 11:51 बजे से दोपहर के 12:45 बजे तक
अमृतकाल मुहूर्तः दोपहर में 12:20 बजे से 12:45 बजे तक
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार इस साल 2 शुभ योग में सीता नवमी मनाई जाएगी। इस बार रवि योग 5 मई को दोपहर 2:01 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 5:36 बजे तक रहेगा।
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1.ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि सीता नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें।
2. इसके बाद मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
3. अब चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर मां सीता और भगवान श्रीराम की प्रतिमा विराजमान करें।
4. मां सीता को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें, फूल, अक्षत, चंदन, सिंदूर, धूप, दीप आदि भी चढाएं।
5. देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए।
6. इसके पश्चात मां सीता को फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। अंत में जीवन में सुख और शांति के लिए प्रार्थना करें।
Updated on:
04 May 2025 05:31 pm
Published on:
04 May 2025 05:30 pm